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Sale of Goods Act, 1930 – 10 Units Notes with Case Laws | UGC NET & Judiciary

📘 Sale of Goods Act, 1930 – यूनिट वाइज संरचना (Click to Read Details)

Unit Title Sections Details
Unit 1 Introduction & Definitions 1–3 📘 यहाँ क्लिक करें
Unit 2 Formation of Contract of Sale 4–8 📘 यहाँ क्लिक करें
Unit 3 Conditions and Warranties 11–17 📘 यहाँ क्लिक करें
Unit 4 Transfer of Property & Title 18–30 📘 यहाँ क्लिक करें
Unit 5 Performance of Contract 31–44 📘 यहाँ क्लिक करें
Unit 6 Rights of Unpaid Seller 45–54 📘 यहाँ क्लिक करें
Unit 7 Remedies for Breach of Contract 55–61 📘 यहाँ क्लिक करें
Unit 8 Auction Sales 64 📘 यहाँ क्लिक करें
Unit 9 Exemptions & Special Cases 62–63, 65 📘 यहाँ क्लिक करें
Unit 10 Important Case Laws & Summary All + Case Law 📘 यहाँ क्लिक करें

📘 UNIT 1: Introduction & Definitions – Sale of Goods Act, 1930

🔰 प्रस्तावना | Introduction:
भारतीय वस्तु विक्रय अधिनियम, 1930 (Sale of Goods Act, 1930) को भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 के अध्याय 6 से अलग किया गया। यह अधिनियम वस्तुओं के क्रय-विक्रय से संबंधित अधिकारों एवं दायित्वों को नियंत्रित करता है।

📌 Section 1 – Short Title, Extent and Commencement:

  • Short Title: इसे "Sale of Goods Act, 1930" कहा जाता है।
  • Extent: यह सम्पूर्ण भारत में लागू होता है।
  • Commencement: 1 जुलाई 1930 से लागू हुआ।
  • Contract Act Link: यह अनुबंध अधिनियम के सामान्य सिद्धांतों पर आधारित है।

📌 Section 2 – Definitions:

यह धारा अधिनियम में प्रयुक्त महत्त्वपूर्ण शब्दों की परिभाषाएँ प्रदान करती है:

  • Buyer: जो वस्तुएँ खरीदता है या खरीदने का वादा करता है
  • Seller: जो वस्तुएँ बेचता है या बेचने का वादा करता है
  • Goods: सभी प्रकार की मूर्त वस्तुएँ (movable property) – स्टॉक, क्रॉप्स, गैस आदि को सम्मिलित करता है
  • Document of Title to Goods: ऐसा दस्तावेज जो वस्तुओं पर अधिकार देता है (e.g., Bill of Lading)
  • Delivery: वस्तु का स्वैच्छिक स्थानांतरण
  • Price: वस्तु का मौद्रिक मूल्य
  • Property: वस्तु पर पूर्ण स्वामित्व

📌 Section 3 – Application of Contract Act:

जहाँ इस अधिनियम में विशेष प्रावधान नहीं हैं, वहाँ भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 लागू होगा।

📘 Key Features of the Act:

  • ✔️ केवल मूर्त वस्तुओं के क्रय-विक्रय को कवर करता है
  • ✔️ सेवाएँ और अचल संपत्ति शामिल नहीं होती
  • ✔️ हस्तांतरण के नियम और जोखिम का सिद्धांत (risk follows ownership)

📚 प्रमुख केस लॉ:

  • 📌 Varley v. Whipp (1900): वस्तु वैसी नहीं थी जैसी अनुबंध में वर्णित थी – breach of condition
  • 📌 Aldridge v. Johnson (1857): मूल्य की अदायगी और वस्तु का हस्तांतरण – valid sale

📒 क्लास-नोट्स का निष्कर्ष:

यह अधिनियम विक्रेता और खरीदार के बीच वस्तुओं के क्रय-विक्रय संबंधी अधिकारों और दायित्वों को विनियमित करता है। परिभाषाएँ परीक्षा में बार-बार पूछी जाती हैं, विशेष रूप से "Goods", "Buyer", "Price" आदि।

📘 UNIT 2: Formation of Contract of Sale (धारा 4–8)

🔰 प्रस्तावना | Introduction:
किसी वस्तु की बिक्री (Sale) तब वैध होती है जब उसका अनुबंध (Contract of Sale) विधि के अनुसार बना हो। यह यूनिट ऐसे अनुबंधों की आवश्यकताओं, प्रकारों, और बिक्री की प्रकृति को समझाती है।

📘 Section 4 – Sale and Agreement to Sell:

  • Sale: Ownership (स्वामित्व) तत्काल हस्तांतरित हो जाता है
  • Agreement to Sell: Ownership भविष्य में हस्तांतरित होगा, कुछ शर्तों के पूरा होने पर
  • ✔️ एक Agreement to Sell भविष्य में Sale बन सकता है

📌 उदाहरण:

  • आज 10 बक्से चावल का हस्तांतरण – यह Sale है
  • 1 हफ्ते बाद 10 बक्से चावल भेजना – यह Agreement to Sell है

📘 Section 5 – Contract of Sale: How Made

  • ✔️ मौखिक (oral), लिखित (written), आचरण द्वारा (by conduct) हो सकता है
  • ✔️ Delivery और Payment साथ या अलग-अलग हो सकते हैं
  • ✔️ यह अनुबंध भारतीय अनुबंध अधिनियम के नियमों के अधीन होगा

📘 Section 6 – Existing and Future Goods:

  • Existing Goods: जो विक्रेता के पास मौजूद हैं
  • Future Goods: जो भविष्य में बनाए जाएँगे या प्राप्त होंगे

📘 Section 7 – Goods Perished Before Contract:

यदि अनुबंध से पहले वस्तु नष्ट हो चुकी है और पक्षकार अनजान हैं, तो अनुबंध अमान्य होता है (void)।

📘 Section 8 – Goods Perished After Agreement to Sell:

अगर वस्तु बिना किसी की गलती के नष्ट हो जाती है तो Agreement to Sell स्वतः समाप्त हो जाता है।

📚 प्रमुख केस लॉ:

  • 📌 Galloway v. Galloway (1914): बिना वस्तु के अनुबंध void होता है
  • 📌 Howell v. Coupland (1876): Future goods destroyed before delivery – contract becomes void

📒 क्लास-नोट्स का निष्कर्ष:

अनुबंध की वैधता वस्तुओं की प्रकृति, स्वामित्व के हस्तांतरण और वस्तु के अस्तित्व पर निर्भर करती है। Sale और Agreement to Sell के बीच का अंतर परीक्षा में बार-बार पूछा जाता है।

📘 Sale of Goods Act, 1930 – यूनिट वाइज संरचना (Click to Read Details)

Unit Title Sections Details
Unit 1 Introduction & Definitions 1–3 📘 यहाँ क्लिक करें
Unit 2 Formation of Contract of Sale 4–8 📘 यहाँ क्लिक करें

📘 UNIT 1: Introduction & Definitions – Sale of Goods Act, 1930

🔰 प्रस्तावना | Introduction:
भारतीय वस्तु विक्रय अधिनियम, 1930 (Sale of Goods Act, 1930) को भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 के अध्याय 6 से अलग किया गया। यह अधिनियम वस्तुओं के क्रय-विक्रय से संबंधित अधिकारों एवं दायित्वों को नियंत्रित करता है।

📌 Section 1 – Short Title, Extent and Commencement:

  • Short Title: इसे "Sale of Goods Act, 1930" कहा जाता है।
  • Extent: यह सम्पूर्ण भारत में लागू होता है।
  • Commencement: 1 जुलाई 1930 से लागू हुआ।
  • Contract Act Link: यह अनुबंध अधिनियम के सामान्य सिद्धांतों पर आधारित है।

📌 Section 2 – Definitions:

  • Buyer: जो वस्तुएँ खरीदता है या खरीदने का वादा करता है
  • Seller: जो वस्तुएँ बेचता है या बेचने का वादा करता है
  • Goods: सभी प्रकार की मूर्त वस्तुएँ (movable property)
  • Delivery: वस्तु का स्वैच्छिक स्थानांतरण
  • Price: वस्तु का मूल्य

📌 Section 3 – Application of Contract Act:

जहाँ इस अधिनियम में विशेष प्रावधान नहीं हैं, वहाँ भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 लागू होगा।

📚 प्रमुख केस लॉ:

  • Varley v. Whipp (1900): वस्तु वैसी नहीं थी जैसी अनुबंध में वर्णित थी

📒 निष्कर्ष:

Sale of Goods Act विक्रेता और खरीदार के अधिकारों को स्पष्ट करता है। परीक्षाओं में इसकी परिभाषाएँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

📘 UNIT 2: Formation of Contract of Sale (धारा 4–8)

🔰 प्रस्तावना | Introduction:
किसी वस्तु की बिक्री (Sale) तब वैध होती है जब उसका अनुबंध (Contract of Sale) विधि के अनुसार बना हो। यह यूनिट ऐसे अनुबंधों की आवश्यकताओं, प्रकारों, और बिक्री की प्रकृति को समझाती है।

📘 Section 4 – Sale and Agreement to Sell:

  • Sale: Ownership तत्काल ट्रांसफर होता है
  • Agreement to Sell: भविष्य में ट्रांसफर होगा

📘 Section 5 – Contract of Sale: How Made

  • ✔️ मौखिक, लिखित या आचरण द्वारा
  • ✔️ Payment व Delivery साथ या अलग-अलग

📘 Section 6 – Existing & Future Goods:

Future goods वो होते हैं जो अनुबंध के समय मौजूद नहीं हैं।

📘 Section 7–8:

यदि वस्तुएँ पहले ही नष्ट हो चुकी हों तो अनुबंध अमान्य होता है।

📚 प्रमुख केस लॉ:

  • Howell v. Coupland (1876): वस्तु के नष्ट होने पर अनुबंध समाप्त

📒 निष्कर्ष:

Sale और Agreement to Sell का अंतर परीक्षा में बार-बार पूछा जाता है।

📘 UNIT 3: Conditions and Warranties (धारा 11–17)

🔰 प्रस्तावना | Introduction:
Conditions और Warranties वे अनुबंधीय शर्तें हैं जो वस्तु की गुणवत्ता, उपयोगिता और खरीददार की अपेक्षाओं से संबंधित होती हैं। इनका उल्लंघन वस्तु की स्वीकृति और खरीद पर गहरा प्रभाव डालता है।

📘 Section 11 – Stipulations as to Time:

  • ✔️ समय से संबंधित शर्तें (delivery/payment) सामान्यतः essential condition नहीं होतीं जब तक कि अनुबंध में स्पष्ट न हो।
  • ✔️ Delay in delivery may not lead to rejection unless explicitly agreed.

📘 Section 12 – Conditions and Warranties Defined:

  • Condition: मूलभूत शर्त जिसका उल्लंघन अनुबंध को समाप्त करने का अधिकार देता है।
  • Warranty: गौण शर्त जिसका उल्लंघन केवल क्षतिपूर्ति (damages) का अधिकार देता है, अनुबंध समाप्त नहीं होता।

🔁 Condition को Warranty में बदला जा सकता है:

  • ✔️ जब खरीदार स्वेच्छा से वस्तु स्वीकार कर लेता है
  • ✔️ जब खरीदार अनुबंध को समाप्त नहीं करना चाहता, केवल नुकसान की भरपाई चाहता है

📘 Section 13 – When Condition is to be Treated as Warranty:

  • ✔️ खरीदार ने वस्तु स्वीकार कर ली है
  • ✔️ वह केवल compensation चाहता है, cancellation नहीं

📘 Section 14 – Property of the Firm:

फर्म की संपत्ति में वे सभी संपत्तियाँ आती हैं जो साझेदारी व्यवसाय के लिए उपयोग की जाती हैं या फर्म द्वारा अधिग्रहित की गई हों। इसमें शामिल हैं:

  • ✔️ साझेदारों द्वारा फर्म में लाए गए सामान या संपत्ति
  • ✔️ फर्म के नाम पर खरीदी गई वस्तुएँ
  • ✔️ व्यवसाय में प्रयुक्त परिसंपत्तियाँ (Assets used in the business)

👉 उपयोग: फर्म की संपत्ति का उपयोग केवल साझेदारी के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं।

📘 Section 15 – Application of the Property of the Firm:

इस धारा के अनुसार, फर्म की संपत्ति का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाएगा:

  • ✔️ फर्म के व्यापार के संचालन में
  • ✔️ साझेदारी से संबंधित कानूनी दायित्वों की पूर्ति में
  • ✔️ साझेदारों के बीच बंटवारे के लिए (dissolution के समय)

❗️नियम: कोई साझेदार फर्म की संपत्ति को निजी उपयोग के लिए नहीं ले सकता जब तक कि अन्य साझेदारों की सहमति न हो।

📌 Section 16: Fitness and Merchantable Quality

  • ✔️ Buyer ने use बताया है तो वस्तु उस use के लिए उपयुक्त होनी चाहिए
  • ✔️ वस्तु merchantable quality की होनी चाहिए (जैसे बाजार में बेची जा सके)

📌 Section 17: Sale by Sample

  • ✔️ Sample और वस्तु में कोई भिन्नता न हो
  • ✔️ Buyer को वस्तु inspect करने का अवसर मिलना चाहिए

📚 प्रमुख केस लॉ:

  • Baldry v. Marshall (1925): Condition vs Warranty – Use-specific purchase
  • Priest v. Last (1903): Implied condition – hot water bottle burst
  • Drummond v. Van Ingen (1887): Merchantable quality explained

📒 क्लास-नोट्स का निष्कर्ष:

Conditions और Warranties अनुबंध की बुनियादी नींव हैं। Buyer का अधिकार निर्भर करता है कि कौनसी शर्त का उल्लंघन हुआ। Implied conditions की समझ विशेष रूप से UGC NET और Judiciary परीक्षाओं में अत्यंत उपयोगी होती है।

📘 UNIT 4: Transfer of Property and Title (धारा 18–30)

🔰 प्रस्तावना | Introduction:
जब वस्तुओं की बिक्री होती है, तो केवल कब्जा (possession) नहीं बल्कि मालिकाना हक (ownership/title) का हस्तांतरण भी महत्वपूर्ण होता है। यह यूनिट बताती है कि कब और कैसे संपत्ति का अधिकार खरीदार को स्थानांतरित होता है और किन स्थितियों में विक्रेता का शीर्षक सही नहीं होते हुए भी खरीदार को अधिकार मिल सकता है।

📘 Section 18 – Goods Must be Ascertained:

जब तक वस्तुएँ निश्चित (ascertained) नहीं होतीं, तब तक संपत्ति का स्वामित्व खरीदार को स्थानांतरित नहीं होता।

📘 Section 19 – Property Passes When Intended to Pass:

मालिकाना हक का हस्तांतरण उस समय होता है जब पक्षकार ऐसा इरादा रखते हैं, जिसे अनुबंध की शर्तों, वस्तु की प्रकृति और परिस्थितियों से तय किया जाता है।

📘 Sections 20–24 – Specific Goods:

  • Section 20: Unconditional sale of specific goods – ownership passes at contract formation
  • Section 21: Goods to be weighed/measured/tested – title passes only after that is done
  • Section 22: Goods delivered on approval – ownership transfers when buyer approves or adopts
  • Section 23: Unascertained goods – ownership passes only when goods are unconditionally appropriated to the contract
  • Section 24: Delivery to carrier – if unconditional, property passes to buyer

📘 Section 25 – Reservation of Right of Disposal:

यदि विक्रेता ने माल भेजते समय स्वामित्व अपने पास सुरक्षित रखा है (e.g. documents controlled), तो जब तक उसकी शर्तें पूरी नहीं होतीं, title transfer नहीं होगा।

📘 Section 26 – Risk Prima Facie Passes with Property:

सामान्यतः जोखिम (risk) भी उसी समय खरीदार को ट्रांसफर होता है जब मालिकाना हक ट्रांसफर होता है, भले ही वस्तु की delivery हुई हो या नहीं।

📘 Sections 27–30 – Transfer of Title:

  • Section 27: Seller must have legal title; “Nemo dat quod non habet” – कोई वह चीज़ नहीं दे सकता जो उसके पास नहीं है
  • Section 28: Mercantile agent with possession and authority can pass good title
  • Section 29: Transfer of title by estoppel – seller’s conduct binds them from denying buyer’s title
  • Section 30: Seller or buyer in possession after sale can validly transfer to good faith third party

📚 प्रमुख केस लॉ:

  • Niblett Ltd. v. Confectioners’ Materials Co. (1921): Seller must have the right to sell goods
  • Rowland v. Divall (1923): Seller without title – buyer can recover full price
  • Eastern Distributors v. Goldring (1957): Estoppel allowed good title transfer

📒 क्लास-नोट्स का निष्कर्ष:

इस यूनिट में दो प्रमुख बातें हैं: 1) संपत्ति का स्वामित्व कब स्थानांतरित होता है, और 2) यदि विक्रेता के पास खुद मालिकाना हक न हो तो क्या खरीदार को सही टाइटल मिलेगा या नहीं। यह यूनिट केस आधारित प्रश्नों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

📘 UNIT 5: Performance of Contract (धारा 31–44)

🔰 प्रस्तावना | Introduction:
Performance का अर्थ है – विक्रेता द्वारा वस्तुओं की आपूर्ति और खरीदार द्वारा मूल्य का भुगतान करना। इस यूनिट में बताया गया है कि Performance कैसे और कब किया जाता है, किसकी ज़िम्मेदारी है, और Delivery से संबंधित नियम क्या हैं।

📘 Section 31 – Duties of Seller and Buyer:

  • ✔️ विक्रेता को वस्तुओं की आपूर्ति करनी है
  • ✔️ खरीदार को मूल्य का भुगतान करना है

📘 Sections 32–34 – Delivery of Goods:

  • Section 32: Delivery और Payment समवर्ती (simultaneous) हो सकते हैं
  • Section 33: Delivery का तरीका – फिजिकल, symbolic या constructive
  • Section 34: Buyer को वस्तु की जांच का अधिकार है

📘 Sections 35–37 – Acceptance of Goods:

  • Section 35: Buyer ने वस्तु स्वीकार कर ली है यदि उसने उसे प्रयोग किया या रोक लिया
  • Section 36–37: Delivery की समयावधि, जगह और तरीका

🔁 Practical Example:

अगर कोई कंपनी 100 कुर्सियाँ खरीदती है और 70 को स्वीकार कर लेती है, तो उन 70 कुर्सियों पर Performance पूर्ण मानी जाएगी।

📘 Section 38–40 – Delivery to Carrier or Wrong Quantity:

  • Section 38: Carrier को delivery से property transfer हो सकती है
  • Section 39–40: अगर quantity ज़्यादा, कम या मिश्रित (mixed) हो तो buyer को choice दी जाती है

📘 Section 41 – Buyer not bound to return rejected goods:

खरीदार को अस्वीकार की गई वस्तुओं को वापस भेजना आवश्यक नहीं है।

📘 Section 42–44 – Acceptance and Refusal:

  • Section 42: Acceptance can be implied by act
  • Section 43–44: Buyer must inform refusal or acceptance, or liable to pay

📚 प्रमुख केस लॉ:

  • Tender of Delivery: Great Northern Railway v. Swafield (1874)
  • Right of Inspection: Varley v. Whipp (1900)
  • Rejection Rule: Hardy & Co. v. Hillerns & Fowler (1923)

📒 क्लास-नोट्स का निष्कर्ष:

अनुबंध की सफल Performance के लिए Delivery और Acceptance की समयबद्ध प्रक्रिया ज़रूरी होती है। यह यूनिट MCQ और Case Study आधारित प्रश्नों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

📘 UNIT 6: Rights of Unpaid Seller (धारा 45–54)

🔰 प्रस्तावना | Introduction:
जब कोई खरीदार पूरा मूल्य नहीं देता या भुगतान में विफल होता है, तो विक्रेता "Unpaid Seller" कहलाता है और उसे कुछ विशेष अधिकार मिलते हैं। यह यूनिट उन अधिकारों को स्पष्ट करती है – जो कानूनी सुरक्षा के रूप में प्रदान किए जाते हैं।

📘 Section 45 – Who is an Unpaid Seller:

  • ✔️ जिसने माल बेचा लेकिन पूरा भुगतान प्राप्त नहीं किया
  • ✔️ या, किसी चेक/बिल आदि का भुगतान असफल हो गया

📘 Rights of Unpaid Seller are Two-fold:

📌 I. Against the Goods:

  • Section 46–49:
  • ✔️ Right of Lien (धारा 47): जब तक पूरा मूल्य न मिले, वस्तु अपने पास रखने का अधिकार
  • ✔️ Right of Stoppage in Transit (धारा 50–52): यदि माल transit में है और खरीदार दिवालिया हो गया है, तो उसे रोकने का अधिकार
  • ✔️ Right of Resale (धारा 54): भुगतान न मिलने पर पुनः बिक्री करने का अधिकार

📌 II. Against the Buyer Personally:

  • Section 55: Breach of contract पर विक्रेता द्वारा buyer के विरुद्ध Suit for Price
  • ✔️ Buyer को भुगतान हेतु वाद दायर किया जा सकता है

📘 Section-wise Overview:

  • Sec 47: Lien तब तक जारी रहता है जब तक goods delivered न हों
  • Sec 48: Lien समाप्त हो जाता है यदि buyer को डिलीवरी दे दी गई हो
  • Sec 49: Lien waived if seller agrees to credit terms
  • Sec 50–52: Transit में माल को रोकना, सही सूचना देना आवश्यक
  • Sec 53: Buyer को माल वापस लेने पर नुकसान की भरपाई करनी होगी
  • Sec 54: Resale करने का अधिकार, लेकिन उचित सूचना जरूरी है

📚 प्रमुख केस लॉ:

  • Great Northern Railway v. Swafield (1874): Stoppage in transit case
  • Valpy v. Gibson (1847): Suit for price upheld
  • Hirji Bharmal v. Bombay Cotton (1912): Indian case on lien right

📒 क्लास-नोट्स का निष्कर्ष:

Unpaid Seller के पास न केवल माल पर अधिकार होता है, बल्कि वह खरीदार पर भी वाद चला सकता है। यह यूनिट UGC NET, Civil Judge और LLB परीक्षाओं में सीधे प्रश्नों के रूप में आती है, जैसे: “Explain Right of Lien” या “Explain Right of Stoppage in Transit with example.”

📘 UNIT 7: Remedies for Breach of Contract (धारा 55–61)

🔰 प्रस्तावना | Introduction:
जब विक्रेता या खरीदार अपने अनुबंधीय दायित्वों को पूरा करने में असफल होता है, तो इसे "Breach of Contract" कहते हैं। इस यूनिट में बताया गया है कि ऐसे उल्लंघन की स्थिति में दोनों पक्षों को कौन-कौन से कानूनी उपाय (Remedies) उपलब्ध हैं।

📘 Section 55 – Suit for Price:

  • ✔️ यदि खरीदार माल ले लेता है लेकिन मूल्य नहीं देता – Seller Price के लिए Suit दायर कर सकता है
  • ✔️ यदि खरीदार माल लेने से इनकार करता है लेकिन उसे भुगतान की बाध्यता है

📘 Section 56 – Damages for Non-Acceptance:

यदि खरीदार माल लेने से मना करता है, तो विक्रेता को उसके नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति (damages) का हक है।

📘 Section 57 – Damages for Non-Delivery:

यदि विक्रेता माल नहीं देता, तो खरीदार कीमत अंतर + नुकसान के लिए वाद कर सकता है।

📘 Section 58 – Specific Performance:

अदालत आवश्यक समझे तो वह विक्रेता को माल की डिलीवरी का आदेश दे सकती है।

📘 Section 59 – Breach of Warranty:

  • ✔️ खरीदार अनुबंध समाप्त नहीं कर सकता
  • ✔️ लेकिन वह मूल्य में कमी या क्षतिपूर्ति की मांग कर सकता है

📘 Section 60 – Anticipatory Breach:

यदि किसी पक्ष ने पहले ही सूचित कर दिया कि वह अनुबंध नहीं निभाएगा, तो दूसरा पक्ष तुरन्त वाद कर सकता है।

📘 Section 61 – Right to Recover Interest and Special Damages:

  • ✔️ किसी भी पक्ष को विशेष नुकसान या ब्याज (interest) वसूलने का अधिकार हो सकता है
  • ✔️ यह Contract Act के Sections 73–75 के अनुसार होता है

📚 प्रमुख केस लॉ:

  • Hadley v. Baxendale (1854): Remoteness of damages
  • Union of India v. Jnanendra Nath (1969): Damages for delay
  • Shiv Nath Rai v. Union of India (1965): Specific performance under Sale of Goods Act

📒 क्लास-नोट्स का निष्कर्ष:

इस यूनिट में खरीदार और विक्रेता को breach के बाद क्या-क्या कानूनी उपचार (Remedies) मिलते हैं, यह स्पष्ट रूप से समझाया गया है। UGC NET और Judiciary परीक्षाओं में "Suit for Price", "Specific Performance" और "Anticipatory Breach" जैसे टॉपिक्स बहुत बार पूछे जाते हैं।

📘 UNIT 8: Auction Sales (धारा 64)

🔰 प्रस्तावना | Introduction:
नीलामी (Auction) एक सार्वजनिक विक्रय प्रक्रिया है जिसमें वस्तुएँ बोली (bids) द्वारा बेची जाती हैं। इस यूनिट में Section 64 के तहत नीलामी से संबंधित नियमों को समझाया गया है।

📘 Section 64 – Rules Regarding Auction Sale:

  1. 📌 Each lot is separate contract: यदि वस्तुएँ अलग-अलग लॉट में बेची जा रही हों, तो प्रत्येक लॉट के लिए अलग अनुबंध माना जाएगा।
  2. 📌 Sale complete when hammer falls: विक्रय तभी पूर्ण होता है जब नीलामीकर्ता (auctioneer) हथौड़ा या कोई प्रतीकात्मक संकेत देता है।
  3. 📌 Right to withdraw bid: बोली लगाने वाला बोली से पीछे हट सकता है जब तक कि विक्रय पूर्ण न हो (यानि hammer न गिरे)।
  4. 📌 Seller’s right to bid: केवल तभी यदि यह पूर्व में घोषित किया गया हो। अन्यथा, seller की बोली अवैध होगी।
  5. 📌 Pretended bidding is fraud: यदि seller ने बोली की प्रक्रिया को गलत तरीके से प्रभावित किया तो buyer अनुबंध को रद्द कर सकता है।

📘 उदाहरण:

अगर राम ने ₹10,000 की बोली लगाई और विक्रय अधिकारी ने हथौड़ा गिराया, तो अब विक्रय पूर्ण है। लेकिन यदि हथौड़ा नहीं गिरा और राम अपनी बोली वापस लेना चाहे तो वह वैध है।

📚 प्रमुख केस लॉ:

  • Payne v. Cave (1789): बोली लगाने वाला तब तक प्रस्ताव वापस ले सकता है जब तक बोली स्वीकृत न हो
  • Thomson v. James (1855): Acceptance तभी मान्य जब इसकी सूचना दे दी गई हो
  • Warlow v. Harrison (1859): Secret bidding by owner makes the sale voidable

📒 क्लास-नोट्स का निष्कर्ष:

नीलामी से जुड़े नियम बोली की निष्पक्षता और खरीदार की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। Section 64 अक्सर न्यायिक परीक्षाओं और UGC NET में case-based या principle-based प्रश्नों के रूप में पूछा जाता है।

📘 UNIT 9: Exemptions & Special Cases (धारा 62–63, 65)

🔰 प्रस्तावना | Introduction:
यह यूनिट उन विशेष प्रावधानों से संबंधित है जो पक्षकारों को अनुबंध में संशोधन, समाप्ति, या दायित्व से छूट (exemption) का अधिकार देते हैं। साथ ही, यह अधिनियम के अतिरिक्त या वैकल्पिक अधिकारों की चर्चा करता है।

📘 Section 62 – Exclusion of Implied Terms and Conditions:

अनुबंध के माध्यम से, व्यवहार या व्यापार प्रथा द्वारा, पक्षकार कुछ implied terms को बाहर (exclude) कर सकते हैं।
✅ उदाहरण: यदि खरीदार और विक्रेता के बीच यह व्यवहार है कि वस्तु की गुणवत्ता की जांच आवश्यक नहीं, तो “fitness” की implied condition लागू नहीं होगी।

📘 Section 63 – Right to Negotiate:

  • ✔️ किसी भी पक्ष को दूसरे पक्ष द्वारा performance करने की आवश्यकता से छूट दी जा सकती है
  • ✔️ या performance का समय बढ़ाया जा सकता है
  • ✔️ इसका प्रभाव वैधानिक रूप से binding होगा

📘 Section 65 – Repeals:

यह धारा पूर्व प्रचलित अधिनियमों की समाप्ति को दर्शाती है। यह एक procedural section है जिसका व्यवहारिक प्रभाव नहीं होता।

📘 उदाहरण:

  • अगर अनुबंध में लिखा है कि “seller is not liable for defects”, तो implied warranty of quality लागू नहीं होगी।
  • यदि खरीदार कहता है, "आप दो दिन बाद वस्तु दें", तो वह अपने timely delivery के अधिकार को waive कर रहा है।

📚 प्रमुख केस लॉ:

  • Johnson v. Raylton (1912): Trade usage may override implied terms
  • Shiv Nath Rai v. Union of India (1965): Time waiver is valid if accepted

📒 क्लास-नोट्स का निष्कर्ष:

यह यूनिट बताता है कि कानून की कुछ धाराएँ पक्षकारों की इच्छा से हटाई जा सकती हैं। Contractual freedom को बनाए रखने के लिए Section 62 और 63 बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। Judiciary और UGC NET परीक्षाओं में इनसे “Waiver of Rights”, “Exclusion Clauses” जैसे प्रश्न पूछे जाते हैं।

📘 UNIT 10: Important Case Laws & Summary (महत्वपूर्ण केस लॉ एवं सारांश)

🔰 प्रस्तावना | Introduction:
यह यूनिट पिछले सभी यूनिट्स को समेटते हुए उन प्रमुख न्यायिक निर्णयों का उल्लेख करती है जो Sale of Goods Act, 1930 की व्याख्या और परीक्षा दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।

📚 प्रमुख केस लॉ (Leading Case Laws):

  • 📌 Rowland v. Divall (1923): यदि विक्रेता के पास स्वामित्व नहीं है, तो खरीदार पूरा मूल्य वापस पा सकता है।
  • 📌 Varley v. Whipp (1900): Description से अलग वस्तु की डिलीवरी – खरीदार अनुबंध रद्द कर सकता है।
  • 📌 Niblett Ltd. v. Confectioners’ Materials Co. (1921): यदि माल का free enjoyment नहीं मिला, तो breach of condition है।
  • 📌 Payne v. Cave (1789): Auction में बोली प्रस्ताव है, जो स्वीकार से पहले वापस ली जा सकती है।
  • 📌 Hadley v. Baxendale (1854): क्षतिपूर्ति केवल ऐसे नुकसान के लिए मिलती है जो स्वाभाविक रूप से उत्पन्न हो या अपेक्षित हो।
  • 📌 Baldry v. Marshall (1925): Specific purpose के लिए वस्तु न मिलने पर breach of condition होता है।
  • 📌 Eastern Distributors v. Goldring (1957): Holding out doctrine – अगर किसी की conduct से third party भ्रमित हो जाए तो firm bound होती है।

📝 Summary Table (Quick Revision):

Topic Key Principle
Transfer of Property Title passes only when goods are ascertained and intended to be transferred
Implied Conditions Apply unless expressly excluded by contract or trade usage
Unpaid Seller Rights Lien, stoppage in transit, resale, suit for price
Remedies for Breach Damages, specific performance, interest recovery
Auction Sale Bid can be withdrawn before hammer falls; secret seller bidding is fraud

📒 क्लास-नोट्स का निष्कर्ष:

यह यूनिट आपको सभी यूनिट्स की Revision Summary और Leading Case Laws एक जगह प्रदान करता है। यह UGC NET, Judiciary, और Law Entrance Exams के लिए अत्यंत उपयोगी है। नियमित अभ्यास के साथ-साथ इस यूनिट का दोहराव परीक्षा के अंतिम दिनों में अति लाभकारी रहेगा।

📘 Quick Revision – Sale of Goods Act, 1930

Unit Title Covered Sections Key Concepts
Unit 1 Introduction & Definitions 1–3 Meaning of Goods, Buyer, Seller, Application of Contract Act
Unit 2 Formation of Contract 4–8 Sale vs Agreement to Sell, Future & Specific Goods
Unit 3 Conditions & Warranties 11–17 Implied Terms, Merchantable Quality, Fitness for Purpose
Unit 4 Transfer of Property & Title 18–30 Risk Transfer, Nemo Dat Rule, Estoppel, Unascertained Goods
Unit 5 Performance of Contract 31–44 Delivery, Acceptance, Inspection Rights, Time of Performance
Unit 6 Unpaid Seller Rights 45–54 Lien, Stoppage in Transit, Resale, Suit for Price
Unit 7 Remedies for Breach 55–61 Damages, Specific Performance, Anticipatory Breach
Unit 8 Auction Sales 64 Withdrawal of Bid, Seller Bidding, Fraud in Auction
Unit 9 Exemptions & Special Cases 62–63, 65 Exclusion of Implied Terms, Waiver, Repeals
Unit 10 Important Case Laws & Summary All Key Judgments + Full Act Summary Table

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