Home Ad

Thug Life फ़िल्म केस: सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दी प्राथमिकता | Legal Analysis 2025

⚖️ कानूनी समीक्षा: Thug Life फ़िल्म पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

📝 केस का नाम:

Writ Petition (Civil) No. 575 of 2025 – एम. महेश रेड्डी बनाम कर्नाटक राज्य व अन्य

📌 केस के तथ्य:

  • फिल्म "Thug Life", जिसमें कमल हासन मुख्य भूमिका में हैं, को सेंसर बोर्ड (CBFC) द्वारा प्रमाणित किया गया था।
  • कर्नाटक में कुछ समूहों द्वारा फिल्म के खिलाफ विरोध हुआ, और सिनेमा मालिकों को धमकी दी गई कि वे इसे प्रदर्शित न करें।
  • इन विरोधों के कारण फिल्म की रिलीज़ पर अनाधिकारिक रूप से रोक लग गई, जिसे याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

⚖️ कानूनी मुद्दे (Legal Issues):

  1. क्या सेंसर बोर्ड द्वारा प्रमाणित फिल्म की रिलीज पर राज्य सरकार या भीड़ द्वारा प्रतिबंध लगाया जा सकता है?
  2. क्या कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा अभिनेता को सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने के लिए दबाव डालना संविधान सम्मत था?

🏛️ सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:

  • सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी फिल्म, जिसे CBFC द्वारा मंजूरी मिली है, उसे वैधानिक रूप से प्रदर्शित होने से नहीं रोका जा सकता
  • कोर्ट ने कहा कि ‘भीड़ का दबाव’ या ‘अप्रसन्नता’ किसी भी फिल्म पर प्रतिबंध का आधार नहीं बन सकता
  • सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की उस टिप्पणी की आलोचना की जिसमें कमल हासन से माफ़ी मांगने के लिए कहा गया था।
  • कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया और सुनवाई की अगली तारीख 19 जून 2025 तय की।

📚 निष्कर्ष:

यह निर्णय भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और सेंसरशिप की वैधानिकता को स्पष्ट करता है। कोर्ट ने यह संकेत दिया कि लोकतंत्र में मंचित हिंसा या धमकी को कानून से ऊपर नहीं रखा जा सकता।

स्रोत: सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही, Times of India रिपोर्ट, 2025

Post a Comment

0 Comments