📘 UGC NET Teaching Aptitude Part 04: मूल्यांकन और मापन की उपन्यास कथा
यह कहानी आरव की चौथी शिक्षण यात्रा है, जहाँ वह मूल्यांकन और मापन की गहराई में उतरता है। गुरुमा वेदवती के साथ एक अनुभवात्मक चर्चा के माध्यम से उसे मूल्यांकन की परतें समझ में आती हैं।
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📘 Part 03: शिक्षण विधियाँ, ICT और प्रविधियाँ – एक उपन्यास कथा 📗 Part 02: Bloom's Taxonomy और शिक्षण सिद्धांतों की उपन्यास कथा 📙 Part 01: चार शिक्षण स्तर की कहानी – एक उपन्यास शैली में🔹 अध्याय 1: मापन के चार स्तर – एक रहस्यमयी पुस्तक की खोज
गुरुमा ने आरव को एक पुरानी किताब दी – 'ज्ञान का तुलनात्मक विज्ञान'। इसमें चार अध्याय थे – Nominal, Ordinal, Interval और Ratio।
🔸 Nominal Scale (नामात्मक स्तर)
अर्थ: वर्गीकरण पर आधारित, कोई क्रम नहीं होता।
उदाहरण: छात्र का लिंग – पुरुष/महिला/अन्य।
🔸 Ordinal Scale (क्रमात्मक स्तर)
अर्थ: वस्तुएँ क्रम में होती हैं, परंतु अंतर ज्ञात नहीं होता।
उदाहरण: कक्षा में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान।
🔸 Interval Scale (अंतराल स्तर)
अर्थ: दो मूल्यों के बीच समान अंतर होता है, लेकिन शून्य निरपेक्ष नहीं होता।
उदाहरण: तापमान – 10°C और 20°C में अंतर समान है।
🔸 Ratio Scale (अनुपात स्तर)
अर्थ: इसमें शून्य का अर्थ होता है 'पूर्ण अभाव'। अंतर और अनुपात दोनों मापे जा सकते हैं।
उदाहरण: वजन, लंबाई – 0 किग्रा का मतलब कोई वजन नहीं।
🔹 अध्याय 2: मूल्यांकन के प्रकार – शिक्षा का चतुर्भुज
आरव अब मूल्यांकन की कक्षा में है। गुरुमा ने कहा — "हर मूल्यांकन का उद्देश्य अलग होता है। इसे समझो जीवन से जोड़कर।"
🔸 1. Formative Evaluation (निर्माणात्मक मूल्यांकन)
अर्थ: शिक्षण के दौरान छात्रों की प्रगति को सुधारने के लिए किया गया मूल्यांकन।
उदाहरण: साप्ताहिक टेस्ट, कक्षा में मौखिक प्रश्न।
लाभ: सुधार और फीडबैक तुरंत मिलता है।
🔸 2. Summative Evaluation (योगात्मक मूल्यांकन)
अर्थ: शिक्षण के अंत में छात्रों के प्रदर्शन का मूल्यांकन।
उदाहरण: वार्षिक परीक्षा, सेमेस्टर एंड एग्जाम।
लाभ: अंतिम प्रदर्शन को दर्शाता है।
🔸 3. Criterion-Referenced Evaluation (मापदंड संदर्भित)
अर्थ: छात्र का मूल्यांकन एक मानक (criterion) के आधार पर होता है।
उदाहरण: 90% प्राप्त करना पासिंग क्राइटेरिया है।
🔸 4. Norm-Referenced Evaluation (मानक संदर्भित)
अर्थ: छात्र की तुलना अन्य छात्रों के साथ की जाती है।
उदाहरण: प्रतियोगी परीक्षा जिसमें टॉप 10% ही चुने जाते हैं।
गुरुमा बोलीं — “समझो आरव, मूल्यांकन केवल नंबर नहीं, विकास की दिशा है।”
🔹 अध्याय 3: Piaget का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत
गुरुमा ने आरव को पिजेट की जीवन यात्रा सुनाई, जिसमें बच्चे के मानसिक विकास की चार अवस्थाएँ थीं:
🔸 1. Sensori-Motor Stage (0-2 वर्ष)
विशेषता: इंद्रियों और गतिविधियों के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करना।
उदाहरण: बच्चा वस्तु को देखकर पहचानता है।
🔸 2. Pre-Operational Stage (2-7 वर्ष)
विशेषता: कल्पना शक्ति, भाषा का विकास, परंतु तर्क की कमी।
उदाहरण: बच्चा सोचता है चाँद उसके साथ चल रहा है।
🔸 3. Concrete Operational Stage (7-11 वर्ष)
विशेषता: वास्तविक घटनाओं पर सोच विकसित होना।
उदाहरण: गणित के ठोस सवाल हल करना।
🔸 4. Formal Operational Stage (11 वर्ष से ऊपर)
विशेषता: अमूर्त विचार, परिकल्पना और तार्किक तर्क।
उदाहरण: विज्ञान की परिकल्पना बनाना और परीक्षण करना।
📘 निष्कर्ष
आरव अब मूल्यांकन और मापन की शक्तियों से लैस है। वह जानता है कि UGC NET की परीक्षा में इन बिंदुओं से बार-बार प्रश्न आते हैं — कभी Piaget पर, कभी मापन के स्तरों पर, तो कभी मूल्यांकन के प्रकार पर।
उसने सीख लिया है – “मूल्यांकन अंकों का खेल नहीं, अधिगम का दर्पण है।”

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