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Most Important Questions & Answers on Jurisprudence for All Law Exams – UGC NET, Judiciary, UPSC, PCS

विधिशास्त्र (Jurisprudence) प्रश्नोत्तरी

विधिशास्त्र (Jurisprudence)

विधिक सिद्धान्त एवं विधिशास्त्र सम्बन्धी धारणाएं

1. "विधिशास्त्र देवी और मनुष्यों बातों का ज्ञान ... रही और गलत का विज्ञान है" यह कथन है –
(a) प्लेटो का
(b) हॉब्स का
(c) बेंथम का
(d) अल्पियन का ✅
व्याख्या: रोमन विधिशास्त्री अल्पियन ने अपनी पुस्तक डायजेस्ट में विधिशास्त्र को देवी और मनुष्यों की बातों का ज्ञान बताया है। उन्होंने कहा कि यह "Science of Just and Unjust" यानी न्याय और अन्याय का विज्ञान है। यह परंपरागत विधिशास्त्र का आधार है, जिसमें कानून की नैतिकता पर विचार नहीं किया जाता बल्कि विधिक आदेशों का विश्लेषण किया जाता है।

2. सूची - I को सूची - II से सुसंगत कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट के सहारे से सही उत्तर चुनिए –

सूची - I
A. सर हेनरी मैन
B. ग्रोसियस
C. बेन्थम
D. होम्स

सूची - II
1. नैतिक विचारधारा
2. विश्लेषणात्मक विचारधारा
3. ऐतिहासिक विचारधारा
4. यथार्थवादी विचारधारा

(a) A-3, B-1, C-2, D-4 ✅
(b) A-1, B-3, C-4, D-2
(c) A-4, B-1, C-2, D-3
(d) A-2, B-4, C-1, D-3

व्याख्या – संशोधित सूची I एवं सूची II का सही सुसंगत संयोजन निम्न प्रकार है:
A. सर हेनरी मैन – ऐतिहासिक विचारधारा (3)
B. ग्रोसियस – नैतिक विचारधारा (1)
C. बेन्थम – विश्लेषणात्मक विचारधारा (2)
D. होम्स – यथार्थवादी विचारधारा (4)

उत्तर – (a)

U.P.P.C.S. (Pre) 2010

3. किसने विधिशास्त्र को 'अधिवक्ताओं की बहिर्मुखता' कहा?
(a) रॉस ने
(b) हॉल ने
(c) जूलियस स्टोन ने ✅
(d) सॉबी ने
व्याख्या: जूलियस स्टोन ने अपनी पुस्तक 'Law and Its Social Dimensions' में विधिशास्त्र को ‘Lawyer’s Extroversion’ कहा है। इसका अर्थ यह है कि विधिशास्त्र केवल कानूनी नियमों की संकीर्ण व्याख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक वास्तविकताओं, मूल्यों और न्याय की अवधारणाओं से भी जुड़ा होता है।
4. "वकीलों का कार्य करते हैं वे, ये उसकी कला के लिए कलम चलाते हैं" यह कथन किसका है?
(a) जूलियस स्टोन ✅
(b) केल्सन
(c) सैविग्नी
(d) हॉलैंड
व्याख्या: यह कथन जूलियस स्टोन द्वारा विधिशास्त्र की सामाजिक उपयोगिता को दर्शाने के लिए दिया गया है। वे कहते हैं कि विधिशास्त्र का कार्य केवल कानून को जानना नहीं बल्कि समाज की आवश्यकताओं और न्याय की मांग के अनुरूप कानूनी विकास को समझना है।
5. किसने कहा कि "विधिशास्त्र विधि का नेत्र है"?
(a) मैन
(b) सीवीसी
(c) पाउन्ड
(d) लास्की ✅
व्याख्या – प्रसिद्ध राजनीतिक विचारक **हेरोल्ड लास्की** ने कहा था कि "विधिशास्त्र विधि का नेत्र है"। इस कथन का तात्पर्य यह है कि विधिशास्त्र केवल कानून का तकनीकी अध्ययन नहीं है, बल्कि यह विधि को देखने, समझने और उसकी प्रकृति, उद्देश्य तथा कार्य-प्रणाली का विश्लेषण करने का माध्यम है। जैसे नेत्र शरीर को दिशा दिखाता है, वैसे ही विधिशास्त्र विधि को दिशा प्रदान करता है।

उत्तर – (d)

U.P.P.C.S. - 2001

6. "सामाजिक संविदा" के सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया?
(a) लॉक
(b) रूसो
(c) ग्रोसियस ✅
(d) प्लेटो
व्याख्या: सामाजिक संविदा सिद्धांत (Social Contract Theory) का प्रारंभिक प्रतिपादन सबसे पहले **ह्यूगो ग्रोसियस (Hugo Grotius)** ने किया। उन्होंने यह विचार प्रस्तुत किया कि राज्य की उत्पत्ति व्यक्ति की स्वेच्छा से हुए अनुबंध पर आधारित होती है। बाद में इस सिद्धांत को और अधिक स्पष्ट रूप से **हॉब्स**, **लॉक** और **रूसो** ने विकसित किया। ग्रोसियस को इस सिद्धांत का प्रारंभिक प्रणेता माना जाता है, जिन्होंने प्राकृतिक विधि और न्याय का आधार सामाजिक अनुबंध को बताया।

उत्तर – (c)

Uttranchal P.C.S. - 2005

06. "मानवाधिकारों" की संकल्पना को निम्नलिखित में से किस शाखा ने जन्म दिया ?
  • (a) नैतिकतावादी विधि शाखा ✅
  • (b) ऐतिहासिक विधि शाखा
  • (c) व्यवहारवादी शाखा
  • (d) समाजशास्त्रीय शाखा
उत्तर – (a)
व्याख्या – विधिशास्त्र की नैतिकतावादी विधि शाखा का सबसे महत्वपूर्ण योगदान मानवाधिकारों की संकल्पना को जन्म देना है।
18. “मानविक विधि का मूल स्रोत तथा समाज में रहने की उसकी आंतरिक आवश्यकता पर आधारित है” यह किसने कहा है ?
  • (a) ग्रोसियस ✅
  • (b) हॉब्स
  • (c) लॉक
  • (d) रूसो
उत्तर – (a)
व्याख्या – उक्त कथन ग्रोसियस का है।
07. निम्नलिखित शाखाओं (विचारधाराओं) में से कौन सी एक ने “मानवाधिकारों” की संकल्पना को जन्म दिया?
  • (a) ऐतिहासिक शाखा
  • (b) प्राकृतिक विधि की शाखा ✅
  • (c) व्यवहारवादी शाखा
  • (d) समाजशास्त्रीय शाखा
उत्तर – (b)
व्याख्या – मानवाधिकारों की संकल्पना का जन्म प्राकृतिक विधि की शाखा से हुआ है। प्राकृतिक विधि की धारणा का अत्यंत प्राचीन प्रमाण वेदों में हुआ। विकास की दृष्टि से प्राकृतिक विधि के काल को 6 भागों में बाँटा जा सकता है – (i) युगातीत काल, (ii) स्टोइक्स काल, (iii) रोमन काल (iv) अज्ञ युग, (v) मध्य युग, (vi) पुनर्जागरण युग।
08. उन्नीसवीं शताब्दी में प्राकृतिक विधि के उद्धार के लिये श्रेय दिया जाता है –
  • (a) ग्रॉशियस को
  • (b) लॉक को
  • (c) रूसो को
  • (d) स्टैम्लर को ✅
उत्तर – (d)
व्याख्या – 19वीं सदी के अंतिम चरण तथा 20वीं सदी के प्रारंभ में स्टैम्लर, फुलर, डेलवेक, गेनी, लॉफलर आदि विचारकों ने प्राकृतिक विधि के यथार्थ सिद्धांत को पुनः प्रस्तुत किया। स्टैम्लर ने प्राकृतिक विधि को "परिवर्ती अंतर्वस्तु वाली नैतिक विधि" कहा और प्रतिष्ठित किया है।
09. उन्नीसवीं शताब्दी में प्राकृतिक विधि के सिद्धांत के पुनरुद्धार के लिये श्रेय दिया जाता है –
  • (a) लॉक को
  • (b) स्टैम्लर को ✅
  • (c) हॉब्स को
  • (d) ह्यूगो ग्रॉशियस को
उत्तर – (b)
10. "परिवर्ती अंतर्वस्तु की नैतिक विधि" का प्रतिपादक कौन था ?
  • (a) जॉन स्टुअर्ट
  • (b) स्टैम्लर ✅
  • (c) जेरोम हाल
  • (d) जॉन फिनिस
उत्तर – (b)
व्याख्या – नवीनतम शताब्दी में स्टैम्लर, डेलवेक, लॉफर, गेनी, कोहलर आदि विचारधाराओं में प्राचीन प्राकृतिक विधियों का पुनरुद्धार किया गया। स्टैम्लर का मत है कि नैतिकतावादी (Absolute) नहीं होता, वह समय तथा स्थानानुसार परिवर्तनीय होता है। स्टैम्लर को परिवर्ती अंतर्वस्तु वाली विधि (Natural law with Variable content) का प्रतिपादक माना जाता है।
11. निम्नलिखित विधिवेत्ताओं में किसकी विधि विचारधारा को "परिवर्ती अंतर्वस्तु वाली नैतिक विधि" का नाम दिया गया है –
  • (a) जॉन फिनिस
  • (b) ग्रॉशियस
  • (c) आर० स्टैम्लर ✅
  • (d) फुलर
उत्तर – (c)
व्याख्या – 20वीं शताब्दी के प्राकृतिक विधिवेत्ताओं आर० स्टैम्लर की प्राकृतिक विधि विचारधारा संकल्पना को “परिवर्ती अंतर्वस्तु वाली नैतिक विधि” (Natural law with variable content) को स्थान दिया गया है।
12. निम्नलिखित विधिवेत्ताओं में से किसके विधि विचारों को “परिवर्ती अंतर्वस्तु वाली नैतिक विधि” का नाम दिया गया है?
  • (a) लॉक
  • (b) जॉन फिनिस
  • (c) आर० स्टैम्लर ✅
  • (d) ग्रॉशियस
उत्तर – (c)
व्याख्या – उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
14. निम्नलिखित विधिवेत्ताओं को “परिवर्ती अंतर्वस्तु की नैतिक विधि” (Natural law with variable content) के सिद्धांत का प्रतिपादक माना जाता है –
  • (a) फुलर
  • (b) स्टैम्लर ✅
  • (c) हार्ट
  • (d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (b)
व्याख्या – “परिवर्ती अंतर्वस्तु की नैतिक विधि” (Natural law with variable content) के सिद्धांत का प्रतिपादक स्टैम्लर को माना जाता है जिन्होंने यह सिद्धांत प्रस्तुत किया।
15. 'नैतिक विधि को धार्मिक स्वरूप दिया गया था -
(a) अरस्तू द्वारा
(b) संत ऑगस्टाइन द्वारा ✅
(c) अब्रव द्वारा
(d) थॉमस एक्वीनास द्वारा
व्याख्या – संत ऑगस्टाइन, एपिक्टेटस, सेनिका आदि यूनानी विचारकों ने प्राकृतिक विधि का मूल स्रोत स्वयं प्रकृति के अधिष्ठाता को माना। इन विचारकों के अनुसार संत ऑगस्टाइन (Saint Augustine) ने नैतिक विधि को धार्मिक स्वरूप प्रदान किया।

उत्तर – (b)

(U.P.P.C.S. - 2004)

16. अपराधकृत्त गुनाह, विधिक विधि को प्रमुख तत्व माना था -
(a) संत ऑगस्टाइन द्वारा ✅
(b) थॉमस एक्वीनास द्वारा
(c) पाइप द्वारा
(d) अब्रव द्वारा
व्याख्या – संत ऑगस्टाइन के अनुसार विधिक विधि का आधार ईश्वर द्वारा प्रदत्त आदेश है। अपराध करना केवल सामाजिक नहीं बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी दंडनीय होता है। अतः अपराध को नैतिक और विधिक दोनों दृष्टियों से अनुचित माना गया।

उत्तर – (a)

(U.P.P.C.S. - 2004)

17. न्यायशास्त्र विचारधारा के अनुसार विधि क्या है?
(a) आदेश
(b) सामाजिक नियंत्रण
(c) आदर्श
(d) न्याय ✅
व्याख्या – न्यायशास्त्र विचारधारा (Philosophical School) के अनुसार विधि का प्रमुख उद्देश्य “न्याय” है। यह विचारधारा मानती है कि विधि केवल आदेशों या नियमों का समूह नहीं है, बल्कि उसका अंतिम उद्देश्य समाज में न्याय की स्थापना करना होता है।

उत्तर – (d)

18. "प्रत्येक विधि के पीछे एक विचार होता है", यह कथन है –
(a) बेकारिया का
(b) ऑस्टिन का
(c) सालमंड का ✅
(d) पाउण्ड का
व्याख्या – सालमंड का यह प्रसिद्ध कथन है कि "प्रत्येक विधि के पीछे एक विचार होता है"। उनका मानना था कि विधि एक तर्कपूर्ण प्रक्रिया है जो सामाजिक विचारों, आवश्यकताओं और नैतिकता के आधार पर विकसित होती है।

उत्तर – (c)

19. विधिशास्त्र किस भाषा का शब्द है?
(a) अंग्रेजी
(b) लैटिन ✅
(c) ग्रीक
(d) जर्मन
व्याख्या – ‘Jurisprudence’ शब्द लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है – *Juris* जिसका अर्थ है "कानून" और *Prudentia* जिसका अर्थ है "ज्ञान" या "बुद्धिमत्ता"। अतः विधिशास्त्र का शाब्दिक अर्थ है – “कानून का ज्ञान”।

उत्तर – (b)

20. 'Jurisprudence' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया था?
(a) सालमंड
(b) जॉन ऑस्टिन
(c) सिसरो ✅
(d) पाउण्ड
व्याख्या – 'Jurisprudence' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग प्राचीन रोमन विचारक **सिसरो (Cicero)** ने किया था। उन्होंने इसे न्याय और विधि के सिद्धांतों के अध्ययन के रूप में परिभाषित किया था। जर्मी बेन्थम ने सर्वप्रथम प्रयोग किया था। ऑप्शन में नहीं दिया हुआ है।

उत्तर – (c)

21. 'नैतिक विधि' का विधि दर्शन स्पष्ट हुआ था –
(a) फ्रांसीसी क्रांति में
(b) अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में
(c) प्राकृतिक (नैतिक) विचारधारा में ✅
(d) रोमन विधि में
व्याख्या – प्राकृतिक (यूनानी काल )(Natural) विचारधारा में सर्वप्रथम 'नैतिक विधि' का विधि दृष्टिकोण स्पष्ट हुआ। 1948 में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार घोषणापत्र और अमेरिकी एवं फ्रांसीसी क्रांति के दौरान नैतिक विधि के सिद्धांतों को बल मिला और यह स्पष्ट रूप से स्थापित किया गया कि विधि केवल राज्य की इच्छा नहीं, बल्कि मानव स्वभाव और नैतिकता पर आधारित होनी चाहिए।

उत्तर – (c)

(U.P.P.C.S. – 1999, 2006, 2007)
(U.P.P.C.S. Spl. – 2004)

22. 'सैद्धांतिक विधि' की आधारशिला रखी गई थी –
(a) अमेरिकनों द्वारा ✅
(b) अरस्तू द्वारा
(c) ऑस्टिन द्वारा
(d) ह्यूगो द्वारा
व्याख्या – सैद्धांतिक विधि (Analytical Jurisprudence) की आधारशिला इंग्लैंड के **जॉन ऑस्टिन** द्वारा रखी गई मानी जाती है, परंतु विचारधारा के प्रारंभिक दर्शन को विकसित करने में **अमेरिकनों** ने भी विशिष्ट योगदान दिया। विश्लेषणात्मक विधि राज्य के आदेश को ही विधि मानती है, और उसमें तर्क व औपचारिकता का महत्व होता है।

उत्तर – (a)

U.P.P.C.S. (Pre) 2010

23. प्राकृतिक विधि के प्रारंभ में मूर्तियों एवं जनमतों का उल्लेख किसने किया है?
(a) सुकरात
(b) अरस्तू
(c) प्लेटो ✅
(d) ड्राइडन
व्याख्या – प्लेटो ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ **'Republic'** में प्राकृतिक विधि की अवधारणा को मूर्तियों, मान्यताओं एवं जनमत के आधार पर प्रस्तुत किया। प्लेटो का विचार था कि विधि का स्रोत केवल मानव नहीं बल्कि कोई उच्च नैतिक आदेश भी है।

उत्तर – (c)

R.A.S. - 2003

24. 'सामाजिक विचार धारा' के प्रमुख विधिशास्त्री थे –
(a) सर हेनरी
(b) सर कार्ल
(c) मैक्स वेबर
(d) ह्यूगो मेन ✅
व्याख्या – **ह्यूगो मेन (Hugo Maine)** को सामाजिक विधिशास्त्र का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने विधि के विकास को सामाजिक संस्थाओं और प्रथाओं के साथ जोड़ा। उनके अनुसार, विधि समाज की क्रमिक प्रगति का परिणाम होती है।

उत्तर – (d)

U.P. Civil Judge – 2006

25. निम्नलिखित विधि-शास्त्र की शाखाओं में से किसमें स्टोक्स दर्शन ने अपनी अभिव्यक्ति पाई?
(a) आदर्शवादी शाखा
(b) ऐतिहासिक शाखा
(c) नैतिक विधि शाखा ✅
(d) समाजशास्त्रीय शाखा
व्याख्या – विधिशास्त्र की **नैतिक विधि की शाखा** में स्टोक्स दर्शन का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। स्टोक्स दर्शन (Stoic Philosophy) के अनुसार विधि नैतिक मूल्यों और नैतिकता के आधार पर चलनी चाहिए।

उत्तर – (c)

U.P.P.C.S. - 1998

26. निम्नलिखित विधिशास्त्रियों में से कौन प्राकृतिक विधि विचारधारा के प्रारंभिक विचारों से संबंधित है?
(a) एपिक्यूरस
(b) कोहलर
(c) रोसको पौंड
(d) सुकरात ✅
व्याख्या – **सुकरात (Socrates)** प्राकृतिक या नैतिक विधिशास्त्र के प्रारंभिक विचारकों में से एक थे। उन्होंने यह माना कि न्याय, सत्य और विधि का आधार केवल राजाज्ञा नहीं बल्कि मानव में अंतर्निहित नैतिकता और विवेक होना चाहिए।

उत्तर – (d)

U.P.P.C.S. – 2004

27. "व्यक्ति को राज्य की विधि माननी ही चाहिए, यदि वह किसी राज्य की विधि अच्छी नहीं समझे तो उसे अन्य राज्य में चला जाना चाहिए" यह कथन संबंधित है –
(a) अरस्तू से
(b) प्लेटो से
(c) सुकरात से ✅
(d) ऑस्टिन से
व्याख्या – **सुकरात** का यह प्रसिद्ध विचार है कि व्यक्ति को राज्य की विधि का सम्मान करना चाहिए। यदि वह किसी राज्य की विधि से असहमत है, तो उसे विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि उस राज्य को छोड़ देना चाहिए। यह विचार उनके न्याय और विधिक आदेश के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

उत्तर – (c)

U.P.P.C.S. - 2002

28. 'नैतिक विधि को धार्मिक चरित्र दिया गया था –
(a) प्लेटो द्वारा
(b) संत ऑगस्टाइन द्वारा ✅
(c) अब्रव द्वारा
(d) थॉमस एक्वीनास द्वारा
व्याख्या – **संत ऑगस्टाइन** ने नैतिक विधि को धार्मिक स्वरूप प्रदान किया। उनके अनुसार, ईश्वर की इच्छा ही विधि है और नैतिकता की जड़ें धार्मिक आदेशों में निहित होती हैं।

उत्तर – (b)

U.P.P.C.S. – 2004

29. निम्नलिखित में से कौन विधिशास्त्र प्राकृतिक (नैतिक) विधि से संबंधित नहीं है?
(a) रूसो
(b) एरिस्टॉटल
(c) प्लेटो
(d) केल्सन ✅
व्याख्या – **हेंस केल्सन** विश्लेषणात्मक विधिशास्त्र का प्रमुख नाम है। उन्होंने 'शुद्ध विधिशास्त्र' (Pure Theory of Law) का प्रतिपादन किया, जिसमें नैतिकता, समाज, राजनीति जैसे सभी कारकों को विधि से अलग रखा गया। इसलिए केल्सन प्राकृतिक (नैतिक) विधि से संबंधित नहीं हैं।

उत्तर – (d)

U.P. Lower Special - 2003

30. "यदि प्रचलित विधि एवं व्यवहारिक विधि के मध्य कोई विरोध हो और वह सामाजिक जीवन की शांति के विरुद्ध प्रभाव डाले तो प्रचलित विधि को हटाकर समाज की नयी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर नयी विधि बनायी जानी चाहिए", यह विचार किसका है?
(a) केल्सन
(b) रूसो
(c) प्लेटो
(d) एहरलिक ✅
व्याख्या – यह विचार **एहरलिक** द्वारा प्रतिपादित है, जो समाजशास्त्रीय विधिशास्त्र से संबंधित हैं। उन्होंने माना कि विधि को समाज की व्यावहारिक आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए और पुरानी विधियों को बदलकर नये सामाजिक परिवर्तनों को स्थान दिया जाना चाहिए।

उत्तर – (d)

U.P.P.C.S. – 2008

31. निम्नलिखित में से कौन सी प्राकृतिक विधि नहीं है?
(a) राजकीय विधि ✅
(b) दैवीय विधि
(c) सार्वलौकिक विधि
(d) नैतिक विधि
व्याख्या – **राजकीय विधि (Political Law)** मानव द्वारा निर्मित होती है और प्राकृतिक विधि के अंतर्गत नहीं आती। जबकि दैवीय विधि (Divine Law), सार्वलौकिक विधि (Universal Law) तथा नैतिक विधि (Moral Law) प्राकृतिक विधि की प्रमुख शाखाएँ मानी जाती हैं।

उत्तर – (a)

U.P.P.C.S – 2006

32. निम्नलिखित में से कौन नैतिक विधि का आलोचक है?
(a) संत ऑगस्टाइन
(b) सन्त थॉमस एक्वीनास
(c) अरस्तू
(d) केल्सन ✅
व्याख्या – **हेंस केल्सन** नैतिक विधि के आलोचक और विश्लेषणात्मक विधिशास्त्र के प्रतिनिधि हैं। उन्होंने 'शुद्ध विधिशास्त्र' का सिद्धांत दिया जिसमें नैतिकता और मूल्य आधारित विचारों को विधि से अलग किया गया।

उत्तर – (d)

U.P.P.C.S. – 1998

33. निम्नलिखित में से कौन सा विधिशास्त्री नैतिक विधि विचारधारा का विरोध करता है?
(a) इमैनुअल कांट
(b) जेम्स बैंथम ✅
(c) स्टैमलर
(d) जॉन रॉल्स
व्याख्या – **जेम्स बैंथम (James Bentham)** उपयोगितावादी दृष्टिकोण के प्रवर्तक थे और नैतिक विधि विचारधारा के विरोधी माने जाते हैं। उन्होंने कानून की उपयोगिता और सुख के सिद्धांत को अधिक महत्व दिया और न्याय को लाभ और हानि के तुलनात्मक विश्लेषण से जोड़ा।

उत्तर – (b)

U.P.P.C.S – 2007

34. विधिशास्त्रियों में से किसने यह मत अभिव्यक्त किया था कि "विधिक न्याय के सिद्धांत सामाजिक न्याय एवं दायित्वों तथा उनके सम्बन्धों को प्रस्तुत करते हुए न्याय की भूमिका को स्पष्ट करते हैं"?
(a) उषा रामनाथ गांगुली एवं (मेघा) चक्रवर्ती
(b) भगवत सिंह मेहता एवं जसराज राय
(c) रामचंद्र मिश्र एवं प्रभा यादव
(d) डॉ. जे.पी. श्रीवास्तव एवं मुकेश पाठक ✅
व्याख्या – यह विचार **डॉ. जे.पी. श्रीवास्तव एवं मुकेश पाठक** द्वारा व्यक्त किया गया, जो विधिक न्याय को सामाजिक न्याय, कर्तव्य एवं सामाजिक संबंधों के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने विधिक न्याय की भूमिका को समग्र दृष्टिकोण से समझाया।

उत्तर – (d)

U.P.P.C.S. Special – 2004

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