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UGC NET Research Aptitude Part 01: अनुसंधान का अर्थ, प्रकार और विशेषताएँ – एक उपन्यास कथा

अनुसंधान की उपन्यास कथा – भाग 01

📘 अनुसंधान की उपन्यास कथा – भाग 01

अन्वेषा और अनुसंधान की पहली मुलाक़ात

अन्वेषा, जो कि समाजशास्त्र में मास्टर की छात्रा थी, NET की तैयारी कर रही थी। लेकिन एक शब्द उसे बार-बार परेशान करता था – \"अनुसंधान\"। उसे लगता जैसे यह कोई रहस्यमयी जंगल है, जिसमें वह खो जाएगी।

एक दिन लाइब्रेरी के कोने में बैठे-बैठे वह बुदबुदा रही थी, \"काश कोई होता जो मुझे यह सब समझा देता...\"

📚 प्रोफेसर तर्कबुद्ध: (हँसते हुए) \"तो अन्वेषा, अनुसंधान से डर लगता है? आओ, आज हम इसे कहानी की तरह समझते हैं। तुम और मैं – एक शोध यात्रा पर निकलते हैं।\"\n

🚪 पहला दरवाज़ा – अनुसंधान का अर्थ

\"देखो,\" प्रोफेसर ने कहा, \"अनुसंधान का अर्थ है – फिर से खोज करना। 'Re + Search'। जैसे तुम किसी पुराने संदूक में अपने दादा की डायरी ढूंढ रही हो। यह तथ्यों, अनुभवों और तर्क की खोज है।\"

🔍 अनुसंधान वह यात्रा है जहाँ प्रश्नों से शुरू करके उत्तरों तक पहुँचा जाता है।

🌿 दूसरा रास्ता – अनुसंधान की विशेषताएँ

प्रोफेसर तर्कबुद्ध ने झील की ओर इशारा किया, \"यह अनुसंधान है – शांत, गहरा, और प्रतिबिंबित। इसकी पाँच पहचान हैं –\"

  • यह सुनियोजित होता है।
  • यह तथ्यों पर आधारित होता है।
  • यह दोहराया जा सकता है (Replicable)।
  • यह तार्किक होता है।
  • यह सत्य को उजागर करता है।

🧭 तीसरा मोड़ – अनुसंधान के प्रकार

\"मान लो तुम एक वैज्ञानिक जासूस हो,\" प्रोफेसर मुस्कराए। \"अब तुम्हें समस्या का हल खोजना है। तुम्हारे पास रास्ते हैं –\"

  • मौलिक अनुसंधान: सिद्धांतों को समझने के लिए।
  • प्रयुक्त अनुसंधान: किसी समस्या को हल करने के लिए।
  • वर्णनात्मक: वस्तुस्थिति को विस्तार से बताने के लिए।
  • ऐतिहासिक: बीते समय को समझने के लिए।
  • कार्य अनुसंधान: शिक्षा जैसी स्थितियों में तुरंत समाधान खोजने के लिए।
  • विश्लेषणात्मक अनुसंधान: तुलना, गणना और आँकड़ों पर आधारित।

अन्वेषा के चेहरे पर मुस्कान थी, जैसे वह कोई पहेली हल कर रही हो।

🧠 चौथा द्वार – दर्शन और दृष्टिकोण

\"अब तुम दो विचारधाराओं से मिलोगी,\" प्रोफेसर गंभीर हो गए, \"Positivism और Post-Positivism। दोनों के अपने रंग हैं।\"

📕 Positivism: “सत्य वस्तुनिष्ठ होता है। जितना मापा जा सके, वही अनुसंधान है। आँकड़ों की दुनिया, नियंत्रण और प्रयोगशालाओं की दुनिया।”

📘 Post-Positivism: “हर चीज़ को मापा नहीं जा सकता। भावनाएं, संदर्भ, अनुभव भी शोध के अंग हैं। इंटरव्यू, केस स्टडी – सबकी भूमिका है।”\n

अन्वेषा मुस्कराई, \"तो मुझे अपनी शोध में दोनों का संतुलन रखना होगा, है न?\"

शोधकर्ता वही है जो प्रश्न पूछने से डरता नहीं।

और इस तरह अन्वेषा की शोध यात्रा शुरू हुई – उत्सुकता, जिज्ञासा और दिशा के साथ।

📖 अगले भाग में: अनुसंधान की प्रक्रिया – विषय चयन से निष्कर्ष तक

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1 Comments

Anonymous said…
Very nice sir aap bhut hi saral tarika se samjha diye h