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Full Lecture Notes of UGC NET Teaching Aptitude: Concept, Levels, Methods & Evaluation Explained

Teaching Aptitude – NTA UGC NET Paper 01

Unit I: Teaching Aptitude (NTA UGC NET Paper 01)

Lecture 01: Teaching – Concept, Objectives, Levels of Teaching

संक्षिप्त विवरण: "शिक्षण की परिभाषा, उद्देश्य तथा स्मृति, बोधगम्यता एवं परावर्तन स्तरों की व्याख्या इस लेक्चर में की गई है।"

विस्तृत विवरण:
1. शिक्षण की परिभाषा

शिक्षण एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों को ज्ञान, कौशल, मूल्य, दृष्टिकोण और व्यवहार सिखाते हैं। यह केवल सूचनाओं का संप्रेषण नहीं बल्कि एक द्विपक्षीय संवाद की प्रक्रिया है।

Gage (1963): "Teaching is a form of interpersonal influence aimed at changing the behavior potential of another person."

2. शिक्षण की प्रकृति

  • सामाजिक प्रक्रिया
  • लक्ष्य-उन्मुख
  • संवादात्मक और गत्यात्मक

3. शिक्षण के उद्देश्य

  • ज्ञान का संवर्धन
  • दक्षता और कौशल विकास
  • मानव मूल्य और नैतिकता
  • समस्या समाधान क्षमता
  • व्यक्तित्व विकास

4. शिक्षण के स्तर

(i) स्मृति स्तर

प्रारंभिक स्तर का शिक्षण है जिसमें तथ्यों और जानकारी को याद करने पर बल दिया जाता है। यह प्राथमिक शिक्षा के लिए उपयुक्त है।

(ii) समझ स्तर

माध्यमिक स्तर का शिक्षण है जिसमें छात्र जानकारी को समझते हैं, विश्लेषण करते हैं और उसका उपयोग करते हैं।

(iii) परावर्तन स्तर

उच्चतम स्तर का शिक्षण है जिसमें छात्र समस्या का समाधान स्वयं करते हैं और चिंतनशील दृष्टिकोण अपनाते हैं।

5. स्तरों की तुलना

विशेषता स्मृति स्तर समझ स्तर परावर्तन स्तर
लक्ष्य तथ्य याद रखना अवधारणाओं की समझ समस्या समाधान
दृष्टिकोण शिक्षक-केंद्रित शिक्षक मार्गदर्शक छात्र-केंद्रित

6. UGC NET परीक्षा के प्रश्न

  • Reflective teaching is related to: Critical Thinking
  • Tripolar Process के तत्व: Teacher, Student, Content

7. शिक्षण की त्रिक प्रक्रिया

शिक्षक, छात्र और विषयवस्तु के मध्य संवाद प्रक्रिया को त्रिक प्रक्रिया कहा जाता है।

8. शिक्षण की प्रभावशीलता कैसे बढ़ाएं?

  • भागीदारी आधारित शिक्षण अपनाएं
  • टेक्नोलॉजी जैसे SWAYAM, Smart Boards का उपयोग
  • छात्रों को प्रेरित करें कि वे स्वयं सीखने की आदत विकसित करें

9. निष्कर्ष

शिक्षण केवल सूचना प्रदान करने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक नैतिक, बौद्धिक और व्यावहारिक विकास का माध्यम है। इसके विभिन्न स्तरों को समझना NTA UGC NET जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए आवश्यक है।

Lecture 02: Characteristics and Learner’s Characteristics

संक्षिप्त विवरण: "एक अच्छे शिक्षक की विशेषताएँ तथा किशोर और वयस्क शिक्षार्थियों की सामाजिक, बौद्धिक एवं संज्ञानात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया है।"

विस्तृत विवरण:
1. प्रभावशाली शिक्षण की विशेषताएं (Characteristics of Effective Teaching)

  • सुस्पष्ट उद्देश्य (Clear Objectives)
  • सक्रिय भागीदारी (Active Participation)
  • शिक्षक और छात्र के बीच संवाद
  • उचित मूल्यांकन तकनीक
  • विविध शिक्षण विधियाँ (Diverse Teaching Methods)
  • शिक्षार्थी की जरूरतों के अनुसार अनुकूलन

2. एक अच्छे शिक्षक की विशेषताएँ (Basic Requirements of a Good Teacher)

  • विषय में प्रवीणता
  • संचार कौशल
  • धैर्य और सहानुभूति
  • नवाचार के लिए तत्परता
  • नैतिकता और अनुशासन
  • प्रेरणा देने की क्षमता

3. शिक्षार्थी की विशेषताएँ (Learner's Characteristics)

शिक्षण की प्रक्रिया में शिक्षार्थियों की विशेषताओं को समझना अत्यंत आवश्यक होता है क्योंकि ये विशेषताएँ शिक्षण की विधि को निर्धारित करती हैं।

(i) किशोर शिक्षार्थी (Adolescent Learners)

  • शारीरिक विकास: हार्मोनल परिवर्तन, ऊर्जा में वृद्धि।
  • बौद्धिक विकास: तर्क और विश्लेषण क्षमता का विकास।
  • भावनात्मक पक्ष: आत्म-सम्मान, पहचान की खोज।
  • सामाजिक पहलू: सहकर्मियों के प्रभाव में आना।
  • शिक्षण रणनीति: उदाहरण आधारित शिक्षण, दृश्य माध्यमों का प्रयोग।

(ii) वयस्क शिक्षार्थी (Adult Learners)

  • स्व-अभिनिर्णय (Self-direction): स्वयं निर्णय लेने की प्रवृत्ति।
  • व्यावहारिक दृष्टिकोण: सीखने को दैनिक जीवन से जोड़ना।
  • अनुभव आधारित: पूर्व अनुभवों को शिक्षा से जोड़ते हैं।
  • अंतर प्रेरणा: सीखने की आंतरिक प्रेरणा होती है।
  • शिक्षण रणनीति: चर्चा आधारित, केस स्टडी और समस्या समाधान आधारित शिक्षण।

4. व्यक्तित्व भिन्नता (Individual Differences)

प्रत्येक छात्र अलग होता है – उनकी सीखने की गति, रुचियाँ, क्षमता और सामाजिक पृष्ठभूमि भिन्न होती है। इसलिए शिक्षण को वैयक्तिकीकृत करने की आवश्यकता होती है।

5. UGC NET परीक्षा से संभावित प्रश्न

  • Adolescent learners are mostly influenced by: Piers (सहपाठी)
  • Adult learners learn better when they are: Self-motivated
  • Good teaching involves: Interaction and Flexibility

6. शिक्षण रणनीति का चयन किन आधारों पर करें?

  • शिक्षार्थी की उम्र और स्तर
  • विषय की प्रकृति
  • उपलब्ध संसाधन
  • सीखने के लक्ष्य

7. निष्कर्ष

एक प्रभावशाली शिक्षक वही होता है जो शिक्षण की मूलभूत आवश्यकताओं को समझता हो और शिक्षार्थियों की विविधताओं के अनुरूप रणनीतियाँ अपनाने में सक्षम हो। UGC NET जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इस यूनिट से बार-बार प्रश्न पूछे जाते हैं, इसलिए इन बिंदुओं को विस्तार से समझना अनिवार्य है।

Lecture 03: Factors Affecting Teaching

संक्षिप्त विवरण: "शिक्षक, शिक्षार्थी, संसाधन, वातावरण तथा संस्था से जुड़े तत्वों की शिक्षण पर प्रभाव की विवेचना की गई है।"

विस्तृत विवरण:
परिचय: शिक्षण एक जटिल प्रक्रिया है जो कई आंतरिक और बाहरी कारकों से प्रभावित होती है। यह केवल शिक्षक और छात्र के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें संस्थागत, भौतिक, मनोवैज्ञानिक और तकनीकी पहलू भी शामिल हैं।

1. शिक्षक से संबंधित कारक (Teacher-Related Factors)

  • विषय ज्ञान: शिक्षक का विषय में गहन ज्ञान शिक्षण को प्रभावशाली बनाता है।
  • प्रेरणा और दृष्टिकोण: शिक्षक का उत्साह और सकारात्मक दृष्टिकोण छात्रों को प्रेरित करता है।
  • शिक्षण कौशल: प्रस्तुतीकरण, संवाद, प्रश्न पूछने और उत्तर देने की क्षमता आवश्यक है।
  • प्रबंधन कौशल: कक्षा में अनुशासन और समय प्रबंधन की दक्षता।
  • व्यक्तित्व और नैतिकता: ईमानदारी, धैर्य और सहानुभूति शिक्षण में मूल भूमिका निभाते हैं।

2. छात्र से संबंधित कारक (Learner-Related Factors)

  • सीखने की प्रवृत्ति: छात्रों की रूचि और प्रेरणा शिक्षण को प्रभावी बनाती है।
  • व्यक्तिगत भिन्नता: हर छात्र की सीखने की गति, क्षमता और पृष्ठभूमि भिन्न होती है।
  • पूर्व ज्ञान: छात्रों की पृष्ठभूमि ज्ञान नई जानकारी के ग्रहण में सहायक होती है।
  • स्वास्थ्य: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी सीखने को प्रभावित करते हैं।

3. सहायक सामग्री (Support Materials)

  • पाठ्य पुस्तकें: अद्यतित और छात्र-अनुकूल पुस्तकें सहायक होती हैं।
  • ऑडियो-विजुअल सामग्री: जैसे प्रोजेक्टर, वीडियो, एनिमेशन आदि ध्यान आकर्षित करते हैं।
  • हाथों से करने वाली गतिविधियाँ: मॉडल्स, चार्ट्स और प्रयोग छात्रों की समझ को गहरा करते हैं।

4. शिक्षण सुविधाएं (Instructional Facilities)

  • कक्षा का वातावरण: स्वच्छ, शांत और व्यवस्थित कक्षा में ध्यान केंद्रित करना आसान होता है।
  • तकनीकी उपकरण: जैसे स्मार्ट बोर्ड, इंटरनेट, लैपटॉप आदि आधुनिक शिक्षण में आवश्यक हैं।
  • लाइब्रेरी और लैब्स: अतिरिक्त अध्ययन और व्यावहारिक अनुभव के लिए ज़रूरी।

5. अधिगम वातावरण (Learning Environment)

  • भावनात्मक वातावरण: शिक्षक-छात्र संबंध, सहयोगी माहौल सीखने को बढ़ाता है।
  • सामाजिक वातावरण: सहपाठियों और समुदाय का प्रभाव।
  • शारीरिक वातावरण: रोशनी, वेंटिलेशन, बैठने की व्यवस्था आदि का प्रभाव।

6. संस्था से संबंधित कारक (Institution-Related Factors)

  • प्रशासनिक सहयोग: शिक्षकों को आवश्यक संसाधन और प्रशिक्षण मिलना चाहिए।
  • नीति और नियम: मूल्यांकन प्रणाली, अनुशासन, पाठ्यक्रम की संरचना आदि।
  • नेतृत्व: संस्थान का नेतृत्व शिक्षण की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

7. परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रश्न (Exam-Oriented Points)

  • प्रश्न: Teaching is influenced most by – Teacher's subject knowledge and attitude
  • प्रश्न: Individual differences among learners are mostly due to – Intelligence and learning styles
  • प्रश्न: Which of the following affects learning environment? – All of the above (Physical, Emotional, and Social)

8. निष्कर्ष (Conclusion)

शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए शिक्षक, छात्र, सामग्री, संसाधन और वातावरण सभी पहलुओं का संतुलन आवश्यक है। NTA UGC NET जैसी परीक्षा में इस लेक्चर से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कई प्रश्न पूछे जाते हैं। इसीलिए, इन बिंदुओं की अच्छी समझ और व्यावहारिक दृष्टिकोण विद्यार्थियों को लाभ दिला सकता है।

Lecture 04: Methods of Teaching in Higher Education

संक्षिप्त विवरण: "शिक्षक-केंद्रित एवं शिक्षार्थी-केंद्रित पद्धतियाँ, ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षण विधियाँ जैसे SWAYAM, MOOCs आदि पर चर्चा की गई है।"

विस्तृत विवरण:
परिचय: उच्च शिक्षा में शिक्षण के विभिन्न तरीके छात्रों की विविध आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए चुने जाते हैं। पारंपरिक और आधुनिक दोनों प्रकार की शिक्षण विधियाँ आज प्रयोग में लाई जा रही हैं, जिनका उद्देश्य शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण को बढ़ावा देना है।

1. पारंपरिक शिक्षण विधियाँ (Traditional Teaching Methods)

  • Lecture Method (व्याख्यान पद्धति): सबसे अधिक प्रचलित विधि, विशेष रूप से सैद्धांतिक विषयों में। यह Teacher-Centered है।
  • Discussion Method (चर्चा विधि): छात्र और शिक्षक के बीच विचारों का आदान-प्रदान। यह समझ को गहरा करता है।
  • Tutorial Method: छोटे समूह में व्यक्तिगत ध्यान देना।
  • Seminar and Symposium: छात्रों को प्रस्तुति और विश्लेषण की क्षमता सिखाना।

2. आधुनिक शिक्षण विधियाँ (Modern Methods of Teaching)

  • Project-Based Learning: समस्याओं पर आधारित कार्य द्वारा सीखना।
  • Case Study Method: व्यावहारिक दृष्टांतों के माध्यम से शिक्षण।
  • Problem Solving Method: तर्क और विश्लेषण के आधार पर समाधान विकसित करना।
  • Brainstorming: रचनात्मक विचारों को प्रोत्साहित करना।
  • Role Play and Simulation: व्यवहार और निर्णय लेने की क्षमता का विकास।

3. Teacher-Centred vs. Learner-Centred Methods

Teacher-Centred Approaches:

  • Lecture Method
  • Demonstration
  • Storytelling (विशेष रूप से प्रारंभिक शिक्षा में)

Learner-Centred Approaches:

  • Group Discussion
  • Seminars and Presentations
  • Experiential Learning
  • Collaborative Learning
  • Problem Based Learning (PBL)

4. Offline vs. Online Teaching Methods

Offline (Traditional) Methods:

  • कक्षा में शिक्षण, व्हाइटबोर्ड और प्रोजेक्टर आधारित।
  • व्यक्तिगत इंटरैक्शन और तत्काल प्रतिक्रिया।
  • संस्थान आधारित संसाधनों तक सीधी पहुँच।

Online Methods:

  • SWAYAM: भारत सरकार की मुक्त ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली, जिसमें AICTE, UGC, IGNOU जैसे संस्थानों के पाठ्यक्रम होते हैं।
  • SWAYAM Prabha: DTH चैनलों के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराना।
  • MOOCs: Massive Open Online Courses — जैसे कि Coursera, edX आदि।
  • Google Classroom, Microsoft Teams, Zoom: ऑनलाइन शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए लोकप्रिय प्लेटफॉर्म।

5. ICT-Enabled Teaching (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षण)

  • स्मार्ट बोर्ड और मल्टीमीडिया कंटेंट का उपयोग।
  • ऑनलाइन टेस्ट और मूल्यांकन प्लेटफार्म।
  • वर्चुअल लैब्स और 3D एनिमेशन टूल्स।
  • LMS (Learning Management Systems) जैसे Moodle, Blackboard आदि।

6. Teaching Methods Based on Bloom’s Taxonomy

  • Remembering: Flashcards, Rote Memory
  • Understanding: Mind Maps, Concept Diagrams
  • Applying: Lab Work, Real-world Examples
  • Analyzing: Case Studies, Comparative Charts
  • Evaluating: Peer Reviews, Debates
  • Creating: Projects, Research Reports

7. परीक्षा दृष्टि से उपयोगी प्रश्न (Exam-Oriented MCQs)

  • Which of the following is learner-centred? – Project-based learning
  • SWAYAM platform is launched by – Government of India
  • ICT is used in – All of the above (Teaching, Evaluation, Administration)

8. निष्कर्ष (Conclusion)

उच्च शिक्षा में प्रभावी शिक्षण के लिए शिक्षक को विभिन्न शिक्षण विधियों का उपयोग करना चाहिए, जो विषय, छात्रों की जरूरतों और तकनीकी संसाधनों पर निर्भर करता है। Learner-Centered और ICT आधारित दृष्टिकोण आज के समय की आवश्यकता बन चुकी है।

Lecture 05: Teaching Support System

संक्षिप्त विवरण: "इस लेक्चर में पारंपरिक, आधुनिक एवं ICT आधारित सहायक शिक्षण प्रणाली की व्याख्या की गई है।"

विस्तृत विवरण:
विषय परिचय: शिक्षण सहायक तंत्र (Teaching Support System) का उद्देश्य शिक्षण-शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाना है। इसमें पारंपरिक संसाधन, आधुनिक तकनीक और ICT आधारित समाधान शामिल होते हैं। यह लेक्चर तीन प्रमुख श्रेणियों में शिक्षण सहायता प्रणाली को समझाता है:

1. पारंपरिक शिक्षण सहायक प्रणाली (Traditional Support Systems)

  • पुस्तकें और संदर्भ सामग्री: पाठ्य पुस्तकें, संदर्भ पुस्तकें और पुस्तकालय संसाधन।
  • चॉक और बोर्ड (Chalk and Talk): लंबे समय से अपनाई जाने वाली विधि जिसमें शिक्षक कक्षा में बोर्ड पर लिखकर पढ़ाते हैं।
  • शैक्षिक चार्ट और मॉडल: विज्ञान, भूगोल जैसे विषयों में उपयोगी।
  • प्रिंटेड नोट्स और प्रश्नपत्र: पूर्व वर्षों के प्रश्नपत्र और ट्यूटोरियल सामग्री।
  • पारंपरिक प्रयोगशालाएँ: रसायन विज्ञान, भौतिकी, जीवविज्ञान जैसी विषयों में प्रयोगों की सहायता।

2. आधुनिक शिक्षण सहायक प्रणाली (Modern Support Systems)

  • प्रोजेक्टर और पॉवरपॉइंट प्रजेंटेशन: अवधारणाओं को दृश्य रूप में स्पष्ट करने में सहायक।
  • ऑडियो-विजुअल एड्स: वीडियो, ऑडियो रिकॉर्डिंग, डाक्यूमेंट्री आदि।
  • शैक्षिक भ्रमण (Educational Trips): वास्तविक अनुभव के माध्यम से अधिगम को समृद्ध बनाना।
  • वर्कशॉप और सेमिनार: कौशल आधारित गतिविधियों को बढ़ावा देना।
  • स्पेस और लर्निंग लैब्स: नए विचारों और अभ्यास का केंद्र।

3. ICT आधारित शिक्षण सहायक प्रणाली (ICT Based Support Systems)

सूचना और संचार तकनीक (ICT) का उपयोग शिक्षा को अधिक इंटरैक्टिव, सुलभ और लचीला बनाता है।

  • SMART Boards: इंटरएक्टिव बोर्ड जिन पर शिक्षक डायरेक्ट लिख सकते हैं और मल्टीमीडिया का उपयोग कर सकते हैं।
  • LMS (Learning Management Systems): जैसे Moodle, Blackboard — जहाँ शिक्षक कंटेंट शेयर करते हैं और मूल्यांकन भी करते हैं।
  • SWAYAM Portal: भारत सरकार का ICT प्लेटफॉर्म जो मुफ्त ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध कराता है।
  • SWAYAM Prabha DTH Channels: दूरदर्शन के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा सभी तक पहुँचाना।
  • MOOCs (Massive Open Online Courses): जैसे NPTEL, Coursera, edX आदि।
  • Virtual Labs: छात्रों को वर्चुअल प्रयोगों के माध्यम से सीखने का अवसर।
  • Google Classroom / Microsoft Teams: शिक्षकों और छात्रों के बीच संवाद और असाइनमेंट का प्रबंधन।
  • YouTube Educational Channels: कई विषयों के लिए शिक्षा वीडियो की उपलब्धता।

4. Teaching Support Tools की तुलना

प्रणाली विशेषताएँ उदाहरण
पारंपरिक कम लागत, आसानी से सुलभ पुस्तक, बोर्ड, चार्ट
आधुनिक विज़ुअल और ऑडियो एड्स प्रोजेक्टर, PPT
ICT आधारित इंटरएक्टिव, टेक्नोलॉजी बेस्ड SWAYAM, LMS, Smart Boards

5. परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • SWAYAM Portal किसका उदाहरण है? — ICT आधारित शिक्षण
  • Moodle क्या है? — Learning Management System
  • Teaching Support System का उद्देश्य क्या है? — शिक्षण की गुणवत्ता और प्रभावशीलता को बढ़ाना

6. निष्कर्ष

एक प्रभावी शिक्षक को पारंपरिक, आधुनिक और ICT आधारित सभी शिक्षण सहायक प्रणालियों का ज्ञान होना चाहिए ताकि छात्रों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। तकनीक और संसाधनों के उपयोग से अधिगम को अधिक रोचक, सक्रिय और परिणामदायक बनाया जा सकता है।

Lecture 06: Evaluation Systems

संक्षिप्त विवरण: "मूल्यांकन के तत्व, प्रकार, CBCS प्रणाली और कंप्यूटर आधारित परीक्षण की जानकारी प्रस्तुत की गई है।"

विस्तृत विवरण:
विवरण: मूल्यांकन (Evaluation) शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का एक अनिवार्य भाग है जो विद्यार्थियों के ज्ञान, कौशल, दृष्टिकोण और प्रगति का मूल्यांकन करता है। यह अध्यापन की गुणवत्ता में सुधार लाने और सीखने की प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने में सहायक होता है।

1. मूल्यांकन की परिभाषा

Evaluation एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से शिक्षक यह निर्धारित करता है कि विद्यार्थियों ने अधिगम उद्देश्यों को किस हद तक प्राप्त किया है।

2. मूल्यांकन के तत्व (Elements of Evaluation)

  • लक्ष्य निर्धारण: क्या सिखाना है, यह स्पष्ट होना चाहिए।
  • मापन: छात्रों की प्रगति को मापने हेतु साधनों का उपयोग।
  • निर्णय: परिणामों के आधार पर विद्यार्थियों का मूल्यांकन।

3. मूल्यांकन के प्रकार (Types of Evaluation)

  1. Diagnostic Evaluation: शिक्षण से पहले छात्रों की क्षमता को समझने के लिए।
  2. Formative Evaluation: शिक्षण के दौरान निरंतर प्रतिक्रिया और सुधार के लिए।
  3. Summative Evaluation: एक निश्चित अवधि के अंत में अंतिम मूल्यांकन जैसे परीक्षाएं।

4. आंतरिक और बाह्य मूल्यांकन

आंतरिक मूल्यांकन बाह्य मूल्यांकन
विद्यालय/कॉलेज द्वारा संचालित बोर्ड/विश्वविद्यालय द्वारा संचालित
पुनःमूल्यांकन का लचीलापन मानकीकृत और कठोर प्रक्रिया
असाइनमेंट, प्रोजेक्ट, प्रेजेंटेशन लिखित परीक्षा

5. मूल्यांकन विधियाँ (Evaluation Techniques)

  • वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs)
  • निबंधात्मक प्रश्न
  • मौखिक परीक्षा
  • प्रस्तुतिकरण (Presentation)
  • रुब्रिक्स आधारित मूल्यांकन

6. CBCS में मूल्यांकन (Evaluation under Choice Based Credit System)

Choice Based Credit System (CBCS) एक लचीली प्रणाली है जिसमें छात्रों को पाठ्यक्रम चुनने की स्वतंत्रता होती है। इसमें आंतरिक और बाह्य मूल्यांकन को मिलाकर अंतिम परिणाम तय किया जाता है।

  • क्रेडिट सिस्टम: प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए निश्चित क्रेडिट।
  • ग्रेडिंग: अंक आधारित के बजाय ग्रेड आधारित मूल्यांकन।
  • SEMs & Assignments: महत्वपूर्ण आंतरिक घटक।

7. कंप्यूटर आधारित परीक्षण (Computer-Based Testing)

CBT एक आधुनिक परीक्षा प्रणाली है जिसमें परीक्षाएं कंप्यूटर पर ली जाती हैं।

  • ऑनलाइन परीक्षा केंद्र: नेट/JRF जैसी परीक्षाएं इसी माध्यम से होती हैं।
  • ऑटोमैटिक स्कोरिंग: त्वरित परिणाम और पारदर्शिता।
  • Randomized प्रश्न: नकल रोकने की तकनीक।

8. मूल्यांकन प्रणाली में नवाचार (Innovations in Evaluation Systems)

  • ओपन बुक एग्ज़ामिनेशन: छात्रों को सामग्री की अनुमति, अवधारणात्मक सोच का परीक्षण।
  • प्रोजेक्ट आधारित मूल्यांकन: वास्तविक समस्याओं पर आधारित मूल्यांकन।
  • AI आधारित मूल्यांकन: ऑटोमैटिक असेसमेंट टूल्स का उपयोग।
  • पोर्टफोलियो मूल्यांकन: छात्र की पूरी यात्रा का डॉक्युमेंटेशन।
  • पीयर मूल्यांकन: छात्रों द्वारा सहपाठियों का मूल्यांकन।

9. UGC NET के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण प्रश्न

  • Summative Evaluation का उदाहरण है — Final Examination
  • Formative Evaluation कब होता है — Teaching के दौरान
  • CBCS प्रणाली में ग्रेडिंग का आधार होता है — Credit System
  • Diagnostic Evaluation किस लिए होता है — छात्र की पूर्व समझ
  • MCQ मूल्यांकन का तरीका है — वस्तुनिष्ठ (Objective)

10. निष्कर्ष

Evaluation न केवल छात्र की प्रगति को मापता है, बल्कि शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार का भी प्रमुख साधन है। आधुनिक तकनीकों और नवाचारों के समावेश से मूल्यांकन प्रक्रिया अधिक सटीक, निष्पक्ष और व्यापक बनती जा रही है।

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