🏸 BNS उपन्यास भाग 09: षड्यंत्र और प्रयास का भंडाफोड़ | धारा 61-62
📍स्थान: शहर का क्लब हाउस
🎾 गतिविधि: बैडमिंटन खेलते हुए बातचीत
👥 पात्र: सुरेश, मनोज, निशा, गुरुजी संजय
🎾 गतिविधि: बैडमिंटन खेलते हुए बातचीत
👥 पात्र: सुरेश, मनोज, निशा, गुरुजी संजय
📱 (मोबाइल रिंग होती है)
सुरेश: (फोन उठाता है) हां निशा, सब ठीक तो है?
निशा (फोन पर): नहीं सुरेश... मेरी बहन बहुत बड़ी मुसीबत में है। किसी ने उसे जॉब देने का झांसा देकर नकली दस्तावेज़ों पर साइन करवा दिए हैं। बाद में पता चला कि वो एक अवैध रजिस्ट्री थी। अब केस दर्ज हो गया है...
सुरेश: ओह! यह तो षड्यंत्र और धोखाधड़ी दोनों लग रहे हैं। मैं अभी मनोज को बताता हूँ।
सुरेश: (फोन उठाता है) हां निशा, सब ठीक तो है?
निशा (फोन पर): नहीं सुरेश... मेरी बहन बहुत बड़ी मुसीबत में है। किसी ने उसे जॉब देने का झांसा देकर नकली दस्तावेज़ों पर साइन करवा दिए हैं। बाद में पता चला कि वो एक अवैध रजिस्ट्री थी। अब केस दर्ज हो गया है...
सुरेश: ओह! यह तो षड्यंत्र और धोखाधड़ी दोनों लग रहे हैं। मैं अभी मनोज को बताता हूँ।
सुरेश: मनोज! निशा का कॉल आया था। उसकी बहन के साथ धोखे से फर्जी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करवाए गए। अब उसके खिलाफ केस दर्ज हो गया है।
मनोज: लगता है ये धारा 61 – आपराधिक षड्यंत्र और धारा 62 – अपराध का प्रयास, दोनों के तहत मामला बनता है।
मनोज: लगता है ये धारा 61 – आपराधिक षड्यंत्र और धारा 62 – अपराध का प्रयास, दोनों के तहत मामला बनता है।
📚 तभी आते हैं गुरुजी संजय...
गुरुजी: बच्चों, इतनी गंभीर चर्चा बैडमिंटन कोर्ट में? क्या बात है?
सभी: नमस्कार गुरुजी!
सुरेश: गुरुजी, निशा की बहन को किसी ने अवैध दस्तावेज़ पर साइन करवा कर फँसा दिया है। हम सोच रहे हैं कि क्या ये धारा 61 का केस बनता है?
गुरुजी: हां बिलकुल। धारा 61 कहती है:
"जब दो या अधिक व्यक्ति अवैध कार्य को अंजाम देने की योजना बनाएं या वैध कार्य को अवैध तरीके से करें, तो वह आपराधिक षड्यंत्र कहलाता है।"
गुरुजी: बच्चों, इतनी गंभीर चर्चा बैडमिंटन कोर्ट में? क्या बात है?
सभी: नमस्कार गुरुजी!
सुरेश: गुरुजी, निशा की बहन को किसी ने अवैध दस्तावेज़ पर साइन करवा कर फँसा दिया है। हम सोच रहे हैं कि क्या ये धारा 61 का केस बनता है?
गुरुजी: हां बिलकुल। धारा 61 कहती है:
"जब दो या अधिक व्यक्ति अवैध कार्य को अंजाम देने की योजना बनाएं या वैध कार्य को अवैध तरीके से करें, तो वह आपराधिक षड्यंत्र कहलाता है।"
🔍 प्रमुख निर्णय:
केस: State (NCT of Delhi) v. Navjot Sandhu alias Afsan Guru, (2005) 11 SCC 600
निष्कर्ष: षड्यंत्र को सिद्ध करने के लिए प्रत्यक्ष साक्ष्य आवश्यक नहीं। योजना और उसके कार्यान्वयन का कोई भी हिस्सा पर्याप्त होता है।
केस: State (NCT of Delhi) v. Navjot Sandhu alias Afsan Guru, (2005) 11 SCC 600
निष्कर्ष: षड्यंत्र को सिद्ध करने के लिए प्रत्यक्ष साक्ष्य आवश्यक नहीं। योजना और उसके कार्यान्वयन का कोई भी हिस्सा पर्याप्त होता है।
गुरुजी: और सुनो बच्चों! अगर अपराध पूरा न भी हुआ हो, लेकिन कोई व्यक्ति उसे करने की कोशिश करता है, तो वह भी सज़ा का पात्र है। ये कहती है धारा 62 – अपराध का प्रयास:
"जो व्यक्ति किसी अपराध को करने का प्रयास करता है, और उस दिशा में कोई कार्य करता है, वह दोषी होता है।"
🔹 उदाहरण: कोई व्यक्ति जेब काटने की कोशिश करता है, पर जेब में कुछ नहीं मिलता — फिर भी वह दोषी माना जाएगा।
"जो व्यक्ति किसी अपराध को करने का प्रयास करता है, और उस दिशा में कोई कार्य करता है, वह दोषी होता है।"
🔹 उदाहरण: कोई व्यक्ति जेब काटने की कोशिश करता है, पर जेब में कुछ नहीं मिलता — फिर भी वह दोषी माना जाएगा।
📘 निष्कर्ष: अपराध की योजना बनाना, या उसे करने का प्रयास करना – दोनों ही गंभीर अपराध हैं। निशा की बहन को न्याय दिलाने के लिए पुलिस में रिपोर्ट कराना अनिवार्य है।
📖 पिछले भाग: BNS उपन्यास भाग 08 – दुष्प्रेरण की कथा शैली
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