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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: 12 साल तक कब्जा करने वाला बन सकता है जमीन का मालिक!

🏠 सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला – कब्जे वाला बन सकता है मालिक!

अगर आपकी प्रॉपर्टी पर किसी ने 12 साल तक कब्जा कर रखा है और आपने कोई आपत्ति नहीं जताई है, तो अब वो व्यक्ति कानूनी मालिक बन सकता है।

🔎 क्या है ‘Adverse Possession’ कानून?

भारत के लिमिटेशन एक्ट 1963 की धारा 65 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी प्राइवेट प्रॉपर्टी पर लगातार 12 साल तक बिना अनुमति के कब्जा कर लेता है और असली मालिक इस पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करता, तो कब्जाधारी मालिकाना हक का दावा कर सकता है।

📄 कब्जे का दावा करने के लिए जरूरी सबूत:

  • बिजली या पानी का बिल
  • प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद
  • लिखित या मौखिक सहमति न होने का प्रमाण
  • गवाहों के बयान
  • प्रशासनिक या राजस्व दस्तावेज

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यदि ये सभी दस्तावेज कोर्ट में पेश कर दिए जाएं और असली मालिक ने 12 वर्षों तक आपत्ति नहीं जताई, तो कोर्ट कब्जाधारी के पक्ष में फैसला दे सकती है।

⚖️ सुप्रीम कोर्ट का 2024-25 का ताज़ा फैसला:

इस फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि:

“यदि कोई व्यक्ति लगातार 12 साल तक किसी संपत्ति पर बिना विरोध के काबिज रहता है, और असली मालिक चुप रहता है, तो कब्जाधारी व्यक्ति कानूनी स्वामी बन सकता है।”

इस निर्णय ने 2014 के उस फैसले को पलट दिया जिसमें कहा गया था कि "सिर्फ कब्जा करने से कोई मालिक नहीं बन सकता।"

🔐 कैसे रखें अपनी प्रॉपर्टी को सुरक्षित?

  • रेंट एग्रीमेंट बनवाएं – हमेशा 11 महीनों का रजिस्ट्रेशन कराएं।
  • नियमित निरीक्षण करें – प्रॉपर्टी पर समय-समय पर जाएं।
  • प्रॉपर्टी टैक्स समय पर भरें – और उसकी रसीद रखें।
  • लिखित समझौता बनवाएं – चाहे रिश्तेदार ही क्यों न रह रहे हों।

🚫 कहां लागू नहीं होता यह कानून?

Adverse Possession का नियम सरकारी या सार्वजनिक भूमि पर लागू नहीं होता। कोई व्यक्ति सरकारी ज़मीन पर कितने भी साल क्यों न रहे, वह उसका मालिक नहीं बन सकता।

🧑‍⚖️ नवीनतम Adverse Possession केस (2024–25)

📌 State of Haryana v. Amin Lal (19 November 2024)

संक्षिप्त: हरियाणा सरकार PWD का दावा कोर्ट द्वारा खारिज किया गया कि राज्य प्राइवेट जमीन पर Adverse Possession (प्रतिकूल कब्जा) नहीं ले सकता।
निर्णय: “State cannot claim adverse possession over property of its own citizens.”
📚 स्रोत: verdictum.in | research.grhari.com | lawbeat.in

📌 Neelam Gupta v. Rajendra Kumar Gupta (14 October 2024)

संक्षिप्त: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किरायेदार या अनुमति से कब्जा करने वाले व्यक्ति Adverse Possession का दावा नहीं कर सकते।
मुख्य निष्कर्ष: कवरेज तभी मान्य होगी जब कब्जा “open, continuous, hostile और निदान योग्य” हो; समय की गणना adverse possession शुरू होने से होगी, न कि ownership से।

📌 निष्कर्ष:

अपनी प्रॉपर्टी की रक्षा करें, दस्तावेज़ पूरे रखें, समय-समय पर जांच करते रहें और यदि कोई कब्जा दिखे, तो तुरंत कानूनी सलाह लें।

📘 अधिक जानकारी हेतु कानून की धारा:

Limitation Act 1963 – Section 65: Adverse Possession के अंतर्गत दावा केवल तभी स्वीकार्य होगा जब कब्जा 'कानूनी विरोध से मुक्त', 'निरंतर' और 'सार्वजनिक' हो।


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