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BNS Novel Part 1: प्रस्तावना – संतोष और मनोज की कहानी

📖 प्रस्तावना

“समुद्र के किनारे कानून की लहरें”

संतोष (अख़बार पढ़ते हुए): हे भगवान! क्या ज़माना आ गया है, मनोज!
मनोज: अब क्या हुआ, संतोष?
संतोष: अख़बार में छपा है कि सास अपने दामाद के साथ भाग गई और दोनों ने शादी कर ली — और अब तो अपने घर भी आ गई है। न शर्म, न लिहाज, न समाज की चिंता!
मनोज: छि... छि... इस खबर से तो सामाजिक बदबू आ रही है। ऐसे लोगों को तो फाँसी चढ़ा देना चाहिए!
संतोष: ठहरो मनोज! तुम नया क्रिमिनल लॉ पढ़े हो क्या? अब *भारतीय न्याय संहिता, 2023* लागू हो चुका है।
मनोज: हाँ भाई, थोड़ा-बहुत जानता हूँ। लेकिन मुझे विस्तार से समझाओ। चलो, धारा 1 से शुरू करो।

📘 धारा 1 – प्रारंभ, क्षेत्राधिकार और प्रवर्तन

उप-बिंदु (1): यह अधिनियम 'भारतीय न्याय संहिता, 2023' कहलाएगा।

मनोज: ओह! तो अब IPC नहीं, BNS है?

उप-बिंदु (2): यह संहिता पूरे भारत में लागू होगी।

मनोज: जम्मू-कश्मीर समेत?

उप-बिंदु (3): भारत के किसी भाग में किए गए अपराध इस संहिता के अधीन होंगे।

मनोज: दिल्ली में हत्या हो, तब भी यही लागू होगा?

उप-बिंदु (4): भारत के बाहर बैठा व्यक्ति भारत के खिलाफ अपराध करे तो भी ये संहिता लागू होगी।

मनोज: जैसे दुबई से साजिश?

उप-बिंदु (5): भारत के जहाज़ या विमान में हुए अपराध भी इसके अंतर्गत आएंगे।

मनोज: ओह! तो समंदर में भी कानून साथ है!

उप-बिंदु (6): यह 1 जुलाई 2024 से प्रभावी है।

मनोज: अब सारे नए केस BNS के हिसाब से चलेंगे।
संतोष: बिल्कुल! अब अपराध, सज़ा और इंसाफ की नई कहानी शुरू होगी।
✨ प्रस्तावना समाप्त — अगला भाग जल्द ही... ✨

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