शिक्षण अभिक्षमता
Teaching Aptitude
शिक्षण : अवधारणाए उद्देश्य, शिक्षण का स्तर, विशेषताए और मूल भावनाएं
शिक्षण का मुख्य उद्देश्य हैः-
शिक्षक विद्यार्थियों में अधिगम उत्पन्न कराता है, अधिगम का तात्पर्य लर्निंग से है और लर्निंग का मतलब है कुछ न कुछ सीखना। शिक्षा में योग का विशेष स्थान होता है। किसी भी योग में जिस तरह से साधन और साध्य दोनों साथ-साथ अवश्य होता है उसी तरह से ािशक्षण एक साधन है तो अधिगम उसका साध्य है। कहा भी जाता है कि साधन के बिना साधना संभव नहीं है। भोजन बिना भजन संभव नहीं है, इस पंक्ति से भी हम कुछ सीख सकते है, भोजन साधन है तो भजन साध्य है। भजन एक प्रतिफल है, परिणाम है, इसी प्रकार से अधिगम भी प्रतिफल है और परिणाम भी है। सारांश मे ंहम कह सकते है कि शिक्षण का मुख्य उद्देश्य अधिगम उत्पन्न करना है। शिक्षण और अधिगम में पारस्परिक और घनिष्ठ संबंध रहता है। शिक्षण में शिक्षक, छात्र और निर्धारित उद्देश्य जिसे प्राप्त करना चाहते है, वह अवश्य होता है। यहां निर्धारित उद्देश्य से तात्पर्य है यदि कोई छात्र चिकित्सक बनना चाहता है तो उसके लिए पाठ्यक्रम उसी रीति से बनाया जाता है। कोई अभियंता बनना चाहता है तो उसे चिकित्साशास्त्र नहीं पढ़ाया जा सकता है। हम यूं भी कह सकते है कि शिक्षण में निश्चित उद्देश्य अवश्य होगा।शिक्षण की प्रकृति या विषेशताए-
1. शिक्षण एक कला भी है और विज्ञान भी है अर्थात दोनों है। कला क्यों है? इसलिए है क्योंकि छात्रों को प्रभावी तरीके से ज्ञान देना होता है। शिक्षक के द्वारा छाात्रों को समझाने के लिए विभिन्न तरह के शिक्षण पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है। हम यूं कह सकते है कि ािशक्षक का वह शिक्षण कौशल जो छात्रों के लिए वरदान साबित हो। विज्ञान इसलिए भी कहते है क्योंकि विभिन्न विषयों के जो विभिन्न टाॅपिक्स होते है उनके तथ्यों एवं कारणों को एजुकेट करना है। वैज्ञानिक पद्धति अर्थात दृष्य-श्रव्य शिक्षण कौशल तकनीक का प्रयोग किये जाने से है। अंग्रेजी बोलने के लिए ठीक से उच्चारण करने की जरूरत पड़ती है, उच्चारण सुधारने के लिए यंत्र का प्रयोग किया जाता है। अंग्रेजी बोलना और लिखना एक कला ही तो है लेकिन वैज्ञानिक तकनीकी से इस कला को बेहतर बनाया जा सकता है।
3. शिक्षण शिक्षक और छात्रों के बीच एक अन्तःक्रिया है।
4. शिक्षण एक निरंतर प्रक्रिया है।
5. शिक्षण में षिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होता है क्योंकि शिक्षक को सम्पूर्ण ज्ञान एवं आत्मविश्वास के साथ प्रभावी तरीके से अध्यापन करना होता है।
6. शिक्षण औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों हो सकता है।
7. समाजिक चेतना को व्यापक बनाने के लिए शिक्षण अति आवश्यक होता है।
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