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UGC NET Notes: Memory Level of Teaching

शिक्षण के स्तर 
स्मरण शक्ति समझ और विचारात्मक 

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       कक्षा में शिक्षक एवं छात्रों के मध्य चल रहे शिक्षण कार्य का स्तर क्या है? यदि विषय पर शिक्षक का ज्यादा दखल नहीं होगा यानी विषय पर विशेषज्ञता नहीं होने पर पाठ्यक्रम तक ही सीमित रहना पड़ेगा और पाठ्यक्रम में दिए गए विषयों को नोट्स बनाने तथा रटने के लिए छात्रों को निर्देश देगा। यह शिक्षण और अधिगम प्रक्रिया का सबसे निचला स्तर होता है। शिक्षक के स्मरण में जो कुछ होगा वहीं पढ़ायेगा। बच्चों के ज्ञान अर्जन करने की सीमा भी वहीं तक सीमित रहेगा। मौरिस एल. बिग्गी के अनुसार विषय सामग्री यानी पाठ्यक्रम में दिए गए विषयों को केवल रट लेना मात्र इसका उद्देश्य होता है। इस शिक्षण के स्तर में शिक्षक और छात्रों की बौद्धिकता का स्तर काफी सीमित होता है। इस स्तर के शिक्षण अभिगम प्रक्रिया में उच्च स्तरीय सहायक सामग्री का उपयोग नहीं किया जाता है।



मुख्य उद्देश्य



इस तरह के शिक्षण स्तर का मुख्य उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्त कर लेना मात्र है। यह शिक्षक केन्द्रित शिक्षण पद्धति पर आधारित होता है। छात्रों की समझदारी निम्न स्तर की होती है और विचारात्मक स्तर भी अति निम्न स्तर की होती है। लेकिन छात्रों की स्मरण शक्ति परिपक्व हो ही जाती है। शिक्षक केन्द्रित शिक्षण पद्धति में छात्र मूक दर्शक की भूमिका में होते है। विषय केन्द्रित शिक्षण पद्धति होने के कारण शिक्षक की भूमिका अत्यधिक लेकिन छात्रों की भूमिका निम्न स्तर का होता है। उबाऊ प्रकृति होने के कारण छात्रों में बौद्धिक क्षमता विकसित नहीं हो पाता है। शिक्षक के हर बात छात्रों को उचित लगने लगता है। चाहे उचित हो या फिर अनुचित हो। 

गुण और दोषः

गुणः यह शिक्षक केन्द्रित शिक्षण प्रणाली होने के कारण यह शिक्षक प्रधानता होती है, यह शिक्षण स्तर प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए बेस्ट होता है। इस स्तर के शिक्षण पद्धति में साधनों की कमी जरूर रहती है तथा सहायक सामग्री का प्रयोग नहीं के बाराबर किया जाता है। इसके माध्यम से छात्रों में पाठ्यक्रम सामग्री को रटने की दक्षता में वृद्धि जरूर होती है। 


दोषः यह शिक्षक स्तर व्यावहारिक ज्ञान की प्राप्ति में असहायक साबित होता है। मानसिक स्तरों के विकास में भी बाधा पहुंचती है। यह शिक्षण पद्धति अत्यधिक नीरस एवं उबाऊ प्रकृति का होता है।


अन्य शिक्षण स्तर के तुलना मंे अत्यधिक सरल है। जो विषय विशेषज्ञ नहीं है वो भी इस प्रक्रिया से पढ़ा सकता है। गंुण कम दोष ज्यादा दिखाई देता है। एकतरफा ज्ञान प्रदान करने के कारण निरसता पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में यह असफल प्रक्रिया है।  छात्रों में सूझ बूझ की कमी के कारण उच्च स्तरीय शिक्षण पद्धति में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है।








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