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Polity - Indian Constitution : Most Important General Knowledge

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी



प्रश्न:- निम्नलिखित में से किसने कहा है कि भारतीय संविधान एक केन्द्रीकृत प्रवृत्ति वाला संघात्मक संविधान है?


           (अ) के.सी. व्हीयर                                          (ब) सर आइवर जेनिंग्स

           (स) ए.वी.डायसी                                            (द) Austin

उत्तर- (ब)

व्याख्या- के.सी. व्हीयर ने भारतीय संविधान को अर्द्धसंघीय संविधान कहा है, जबकि सर आइवर जेनिंग्स ने भारतीय संविधान को विश्व का वृहद संविधान तथा ज्यादा दिन तक नहीं चलने वाला संविधान माना। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संविधान केन्द्रीकृत प्रवृत्ति वाला संघात्मक संविधान है। ए. व्हीं डायसी के द्वारा विधि-शासन को प्रतिपादित किया है उन्होंने विधि शासन के अंतर्गत तीन तरह के तर्क प्रस्तुत करते है- 1. विधि सर्वोंच्च है अर्थात संविधान सर्वोच्च है 2. विधि के समक्ष समता जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में अंगीकृत किया गया है 3. विधि की प्रभावशीलता। हालांकि विधि की प्रभावशीलता भारत में लागू नहीं होता है। आॅस्टिन ने विधि को सम्प्रभु का समादेश माना है।

प्रश्न:- यह कहा जाता है कि भारतीय संविधान का ढांचा-


          (अ) स्वरूप में संघात्मक एवं आत्मा में एकात्मक है 

          (ब) केवल संघात्मक है 

          (स) अर्द्धसंघात्मक है 

          (द) अशुद्ध रूप से एकात्मक है

उत्तर- (अ)

व्याख्या- शांतिकाल में भारतीय राजनीतिक शासन व्यवस्था पूर्णतः संघात्मक है अर्थात केन्द्र और राज्य सरकारों में असीमित शक्तियों का बंटवारा किया गया है। अर्थात अनुच्छेद 246 के अंतर्गत सातवीं अनुसूची में संघ सूची के विषयों पर संसद और राज्य सूची के विषयों पर राज्य विधानमंडल ही कानून बना सकती है। तीसरा समवर्ती सूची भी दिए गए है इन विषयों पर संसद एवं राज्य विधानमंडल दोनों एक साथ कानून बना सकती है। लेकिन अनुच्छेद 252 जिसमें राष्ट्रीय आपातकाल, राज्य में राष्ट्रपति शासन एवं वित्तीय आपातकाल के बारे में उल्लेख है। राष्ट्रीय आपातकाल युद्ध, बाह्य आक्रमण एवं सशस्त्र विद्रोह के आधार पर ही लगाया जा सकता है। जब आपातकाल है तब राज्य सरकारों की शक्तियां केन्द्रीय सरकार में प्रत्यायोजित हो जाती है अर्थात भारत एक हो जाता है, होना भी चाहिए तभी दुःश्मन देश को हराने में साहस मिलेगी। इसलिए स्वरूप में संघात्मक और आत्मा में एकात्मक कहा गया है।

प्रश्न:- हमारे संविधान की प्रस्तावना का सर्वाधिक महत्व और संविधान का अर्थान्ययन और निर्वचन प्रस्तावना में अभिव्यक्त महान और उच्च आदर्शों के प्रकाश में किया जाना चाहिए, यह कथन किसका है?

            (अ) न्यायमूर्ति सिकरी                                     (ब) न्यायमूर्ति भगवती 

            (स) डाॅ. अम्बेडकर                                        (द) नरेन्द्र मोदी

उत्तर- (अ)

व्याख्या- उक्त कथन केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सीकरी ने कहा था। जब प्रस्तावना संविधान का भाग है या नहीं, इस बात पर विचार चल रहा था तब पीठ की ओर से मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना सर्वाधिक महत्व का है क्योंकि प्रस्तावना से ही संविधान निर्माताओं की अपेक्षाओं एवं आंकाक्षाओं को जान सकते है। जब भी न्यायालय संविधान का अर्थान्ययन या निर्वचन करें तब न्यायाधीशों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हमारे संविधान निर्माताओं ने जो उच्च आदर्श अभिव्यक्त करके गये है उन्हें बनाये रखे।

प्रश्न:- संविधान के प्रस्तावना को अभी तक कितने बार संशोधित किया जा चुका है?

                 (अ) दो बार                                                             (ब) एक बार 

                 (स) दो से अधिक बार                                              (द) अभी तक कोई संशोधन नहीं किया गया है

उत्तर- (ब)

व्याख्या- 1976 में 42 वें संविधान संशोधन के तहत् अभी तक केवल एक बार ही संशोधन किया गया है। इन री बेरीबरी बनाम भारत संघ के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का भाग नहीं है लेकिन केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में उच्चतम न्यायालय ने इन री बेरीबरू के मामले को उल्ट दिया तथा उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि प्रस्तावना संविधान का अभिन्न अंग है अतः अनुच्छेद 368 के तहत् संविधान संशोधन किया जा सकता है। प्रस्तावना में भी केशवानंद भारती मामले में दिए गए आधारभूत ढांचा लागू होता है। 42 वें संविधान संशोधन में पंथ निरपेक्ष, समाजवाद के अलावा बंधुत्व को जोड़ा गया है।


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