प्रस्तावनाः-आज 15 दिसम्बर सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म दिवस है। उनका जन्म 1875 को गुजरात के नडियाड में हुआ था और मृत्यु 15 दिसम्बर 1950 को मुंबई में दिल का दौरा पड़ने पर हुई। यह एक संयोग ही है कि एक ऐसा स्वतंत्रता संग्राम सेंनानी जिनके जन्म और मृत्यु दोनों एक ही तिथि को हुई वह है सरदार पटेल। सरदार पटेल को लौह पुरूष तथा भारत का विस्मार्क भी कहा जाता है। इसके अलावा भारत की आजादी के बाद सरदार पटेल प्रथम गृह मंत्री एवं उप-प्रधानमंत्री बने।
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भारत जब 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ उस समय भारत में ब्रिटिश राज के अंतर्गत् 11 स्वतंत्र राज्य, 07 केन्द्र शासित राज्य एवं 04 कमिश्नर्स के प्रांत अस्तित्व में थी। इसके अलावा भारत में 565 देशी रियासतें शासन करती थी। भारत को राज्यों का संघ के रूप में लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था के रूप में स्थापित किया जाना था अर्थात ब्रिटिश राज और देश रियासतों को मिलाकर राज्यों का संघ बनाया जाना था लेकिन भारत और पाकिस्तान की बंटवारे के बाद कुछ ब्रिटिश राज्य और देशी रियासतें का बंटवारा किया जाना था। इसका जिम्मा सरदार पटेल और मेनन को दिया गया ताकि सभी देशी रियासतों को भारत में शामिल किया जा सकें। सरदार पटेल की दूरदर्शिता और डर-भय के चलते अधिकांश देशी रियासतें भारत में शामिल हो गए लेकिन जूनागढ़, हैदराबाद, जम्मू-कशमीर और भोपाल देशी रियासतें शामिल नहीं हुए। लेकिन सरदार पटेल की शतरंज चाल के कारण जूनागढ़ में जनमत, हैदराबाद को पुलिस बलों से, जम्मू-कशमीर समझौता तथा भोपाल को रणनीति के साथ भारत में शामिल किया गया। इसी कारण से सरदार पटेल को लौह पुरूष कहा जाता है।शिक्षाः-सरदार पटेल लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई किए और भारत लौट आए। उस समय महात्मा गांधी के संपर्क में आए तथा उनके विचारों से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में जुड़ गये।सरदार पटेल के लिए कहावत है जवाहर लाल नेहरू शास्त्रों के ज्ञाता थे लेकिन सरदार पटेल शास्त्रों के पुजारी थे। नेहरू की जीवन शैली उच्च स्तर की थी लेकिन सरदार पटेल साइंस या कला के ज्यादा जानकार नहीं थे, झोपड़ियों, गरीब किसानों, शहर के गंदे मकानों में जीवन यापन हुआ। नेहरू अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नेता थे तो पटेल राष्ट्रीय स्तर के नेता थे। इस कारण से उन्हें प्रधानमंत्री का दायित्व नहीं मिल पाया।
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बारडोली के किसान आंदोलनः- सरदार पटेल 1928 में बारडोली के किसानों के साथ हो रहे अंग्रेजी हुकुमतों की अत्याचार के विरोध में सत्याग्रह प्रारंभ किये जिसके चलते उन्हें बारडोली का सरदार कहा जाने लगा, बाद में नाम के सामने सरदार उपाधी से नवाजा गया। बारडोली की महिलाओं ने ही सबसे पहले सरदार की उपाधि दी थी. गुजराती और ज़्यादातर भारतीय भाषाओं में 'सरदार' का मतलब मुखिया या नेता होता है.सरदार पटेल को जर्मनी के विस्मार्क थे: सरदार पटेल ने भारत को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी. उन्हें ’भारत का बिस्मार्क’ भी कहा जाता है। सरदार पटेल को ’भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के संरक्षक संत’ के रूप में भी याद किया जाता है। सरदार पटेल का दृष्टिकोण बिस्मार्क से अलग था. बिस्मार्क ने 1871 में कई जर्मन राज्यों को एकीकृत किया था. बिस्मार्क ने शांतिपूर्ण उपायों के बारे में ज़्यादा नहीं सोचा।
सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति का नाम स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी है। यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है. यह 182 मीटर ऊंची है और इसे 31 अक्टूबर, 2018 को खोला गया था। यह मूर्ति गुजरात के नर्मदा जिले में केवड़िया में सरदार सरोवर बांध के पास बनी है।इस मूर्ति को बनाने में करीब 3 हज़ार करोड़ रुपये का खर्च आया था। सरदार पटेल की इस मूर्ति का वज़न 1700 टन है, इसके पैर की ऊंचाई 80 फ़ीट, हाथ की ऊंचाई 70 फ़ीट, कंधे की ऊंचाई 140 फ़ीट और चेहरे की ऊंचाई 70 फ़ीट है। स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी, अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी से दोगुनी ऊंची है। यह इतनी बड़ी है कि इसे 7 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है।
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