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✍️ नया कॉलम: मैं भी कवि हूँ – अपने शब्दों को दीजिए मंच | स्वरचित गीत/ग़ज़ल के लिए मिलेगा विशेष सम्मान और पुरस्कार

🇮🇳 वंदन तुझे भारत

✍️ गीत: डॉ. वेणुधर रौतिया | "मैं भी कवि हूँ" कॉलम

1.
वंदन तुझे भारत, चरणों में अर्पण प्रीत,
तू जन्मभूमि पावन, तू कर्मभूमि नित।
हर पर्व, हर भाषा, एकता का समर्पण पथ,
तू ही हमारी माटी, तू ही अमर लक्ष्यसिद्ध सत॥

2.
तेरे ही गाथा गाएं, हिमालय जैसे स्वर,
तेरी रक्षा को जीवन, देते हैं वीर अनगिनत।
तेरे मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वार,
हर धर्म से जुड़ा है, तेरा सांझा चरित्र॥

3.
शस्य-शामला धरती, धानी-धानी ताज,
नवयुग की प्रेरणा, तू ही ज्ञान का काज।
शब्दों से भी गहरे, तेरे भावों के अर्थ,
तू गीतों का सुरम्य छंद, तू मंत्र, तू मंत्र॥

4.
तेरे नभ की ऊँचाई, छू ले विज्ञान संकल्प,
तेरे जल से शुद्ध हो, हर जन-जन का आत्म।
तू बालक की मुस्कान, तू नारी की हिम्मत,
तू आशा का संकेत, तू संघर्ष का सत॥

5.
तेरे ही चरणों में झुकती, ये सारी सभ्यता,
हर एक धड़कन में बसती, तेरी ही सत्ता।
आज़ादी की जो कीमत, थी रक्त से साक्षात,
वो त्याग बना इतिहास, बना गौरवग्रंथ तत्व॥


📢 नोट:

15 अगस्त 2025, आजादी की अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में गीत/ग़ज़ल प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। आप भी अपनी स्व-लिखित रचना भेजकर प्रतियोगिता में शामिल हो सकते हैं।

बेस्ट रचना को पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

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1 Comments

Asha Ram Rathor said…
परम सम्मानित डॉक्टर रौतिया जी,
आप को मेरा सादर चरण स्पर्श ।
युवा पीढ़ी में साहित्य सृजन, समाज और राष्ट्र निर्माण हेतु , उन्हें निशुल्क मार्गदर्शन और परामर्श व मंच उपलब्ध कराने के लिए आपको कोटि-कोटि साधुवाद । आपका सानिध्य पाकर आज तक हजारों छात्र-छात्राएं नेट, जेआरएफ, सिविल सर्विस, जज, प्रोफ़ेसर, लेक्चर, आदि बनकर समाज और राष्ट्र निर्माण में अमूल्य योगदान दे रहे हैं। मैं सौभाग्यशाली हूं जो मुझे भी आपका सानिध्य मिला । "प्रारंभिक शिक्षा में सतत् गिरता नामांकन स्तर : कारण एवं प्रभावों का एक विश्लेषणात्मक अध्ययन " विषय पर मेरे शोध पत्र हेतु गाइड किया। पुनः कोटि कोटि आभार और धन्यवाद।।
आशा राम राठौर, बिजनौर, यू.पी